कई हमलावरों पर अकेले काबू पा सकता है भारत का ‘घातक’ कमांडो

इंडिया टुडे ने घातक कमांडो के ट्रेनिंग कार्यक्रम पर बारीकी से नजर डाली. बताया जाता है कि इन कमांडो ने गलवान में मध्ययुग जैसे टकराव में कुछ PLA सैनिकों की गर्दन तोड़ दी और कुछ को विकलांग बना दिया.

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सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई मार्शल आर्ट्स का जन्म स्थान भारत है सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई मार्शल आर्ट्स का जन्म स्थान भारत है

अभि‍षेक आनंद

  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

  • कमांडो ने 15 जून को दिखाया था पराक्रम
  • कुछ चीनी सैनिकों की तोड़ डाली थी गर्दन

चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने गलवान नदी घाटी में अपने सैनिकों को ट्रेंड करने के लिए मिक्स्ड मार्शल आर्ट (MMA) फाइटर्स को तैनात किया है. ये घटनाक्रम 15 जून को क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव के बाद हुआ. लेकिन भारतीय सेना के 'घातक' कमांडो की ट्रेनिंग अलग है और PLA सैनिकों की ‘ओल्ड स्कूल’ ट्रेनिंग पर कहीं अधिक भारी है.

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इंडिया टुडे ने घातक कमांडो के ट्रेनिंग कार्यक्रम पर बारीकी से नजर डाली. बताया जाता है कि इन कमांडो ने गलवान में मध्ययुग जैसे टकराव में कुछ PLA सैनिकों की गर्दन तोड़ दी और कुछ को विकलांग बना दिया. चीनी सेना की ओर से प्रोफेशनल MMA फाइटर्स को अपने सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए नियुक्त किए जाने की रिपोर्ट के बावजूद घातक कमांडो की ट्रेनिंग का स्तर कहीं ऊंचा है. आजतक/इंडिया टुडे टीवी ने घातक कमांडो के ट्रेनर्स के साथ एक दिन बिताया. ये ट्रेनर्स विभिन्न सशस्त्र बलों को ट्रेंड करते हैं.

भारतीय सेना में पूर्व मेजर और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सेवानिवृत्त कमांडेंट अजय रामपाल कश्मीर घाटी में ड्यूटी देने के अलावा कई काउंटर ऑपरेशंस को अंजाम दे चुके हैं. उन्होंने बताया, “MMA और अन्य ओरिएंटल मार्शल आर्टस जैसे कि कुंग फू, कराटे, तायक्वोन्डो और अन्य स्पोर्ट्स का रूप हैं. इनके प्रैक्टिशनर्स को मुख्य तौर पर ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें उन्हें अकेले हमलावर का सामना करना पड़ता है.

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इसके कुछ निश्चित नियम होते हैं और एक प्रत्याशित माहौल में ऐसा किया जाता है. लेकिन जिस ट्रेनिंग से हम गुजर रहे हैं, वो स्वदेश-विकसित है और इसमें अमेरिका, इजरायल, स्पेन, जर्मनी, इंडोनेशिया और अन्य देशों की सबसे अच्छी हाथों से की जाने वाली लड़ाई की तकनीक का समावेश किया गया है. हमारी ट्रेनिंग का मकसद एक साथ कई हमलावरों से निपटना है.”

घातक कमांडो और अन्य सशस्त्र बलों की ट्रेनिंग एक मॉड्यूल पर आधारित है जो करीब एक दशक की रिसर्च पर आधारित है. ये रिसर्च स्पोर्ट्स फिजिकल एजुकेशन फिटनेस एंड लीज़र- स्किल काउंसिल (SPEFL-SC), की ओर से की गई. ये काउंसिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्लैगशिपर प्रोग्राम नेशनल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया (NSDC) का हिस्सा है.

SPEFL-SC के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) तहसीन ज़ाहिद ने बताया, “सशस्त्र बलों और नागरिकों के लिए हाथों से की जाने वाली लड़ाई की ट्रेनिंग का विचार लगभग एक दशक लंबी रिसर्च का नतीजा है. यह ट्रेनिंग भारत में विकसित की गई है. हम अन्य विदेशी देशों के ट्रेनर्स पर भरोसा नहीं कर रहे हैं क्योंकि हमारे पास खुद विश्व स्तर के ट्रेनर्स हैं. हमारे देश में हाथों से की जाने वाली लड़ाई की एक समृद्ध विरासत है.

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सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई मार्शल आर्ट्स का जन्म स्थान भारत है. हमने आधुनिक खतरों की संभावनाओं से निपटने के लिए दुनिया की सबसे बढ़िया कॉम्बेट टैक्निक्स को भी और बेहतर बनने के लिए साथ जोड़ा है. अब हमारे पास अब अपना खुद का एक सिस्टम है. यह ट्रेनिंग जवानों को किसी भी ओरिएंटल मार्शल आर्ट के कई हमलावरों से एक साथ निपटने में सक्षम बनाती है.”

कमांडो को ट्रेंड करने वाले ट्रेनर्स के मुताबिक एक औसत ट्रेनिंग सेशन में करीब 800 कैलोरी बर्न होती है. ट्रेनिंग का पहला हिस्सा जवानों को आबोहवा के मुताबिक तैयार रखने के लिए कार्डियोवैस्कुलर वर्कआउट से शुरू होता है.

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SPEFL-Strike के चीफ इंस्ट्रक्टर गौरव जैन घातक टीम्स को ट्रेनिंग दे चुके हैं. वे कहते हैं- “नहीं, हम MMA, शाओलिन कुंग-फू, कराटे आदि जैसे किसी भी स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग से नहीं दे रहे. हम सैनिकों को रीयल लाइफ इलाकों में रीयल लाइफ हालात से निपटने के लिए ट्रेंड कर रहे हैं. ओरिएंटल मार्शल आर्ट्स के नियमों के विपरीत, हमने एक ऐसी तकनीक बनाई है जो क्राव मागा, सिलाट, ब्राज़ीलियाई जीउ जित्सु और अन्य पर आधारित है, और जो जवानों को कई हमलावरों से निपटने में सक्षम बनाती है.”

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