जीएसआई के वैज्ञानिकों ने की लाखों टन कीमती धातुओं और खनिजों की खोज

भारत के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वैज्ञानिकों ने पानी के नीचे लाखों टन कीमती धातुओं और खनिजों की उपस्थिति की खोज की है, जो प्रायद्वीपीय भारत के चारों ओर फैले हैं. 

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

केशवानंद धर दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

भारत के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वैज्ञानिकों ने पानी के नीचे लाखों टन कीमती धातुओं और खनिजों की उपस्थिति की खोज की है, जो प्रायद्वीपीय भारत के चारों ओर फैले हैं.

समुद्री संसाधनों की विशाल उपस्थिति को पहली बार मंगलुरु, चेन्नई, मन्नार बेसिन, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप से लगभग 2014 की शुरुआत में पहचाना गया था.

हाइड्रोकार्बन, मेटलमिर्जेस जमाराशियों और माइक्रोनोडयल्स जो भूवैज्ञानिक पार एक स्पष्ट संकेत था कि गहरी और अधिक व्यापक खोज एक बड़ी खजाना निधि के लिए हो सकता है.

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तीन साल की खोज के बाद, जीएसआई ने 181,025 वर्ग किलोमीटर का उच्च संकल्प समुद्रतट वाले आकारिकीय आंकड़े उत्पन्न किए हैं. भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर 10,000 मिलियन टन लाइम मड की स्थापना की है.

इससे पहले भी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कुछ हिस्सों में सोना मिश्रित तांबा खनिज पदार्थ की व्यापक पैमाने पर खोज की थी. करेंट साइंस जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक सतही शैल और झरनों के तलछट से क्रमश: 475 पार्ट्स प्रति बिलियन (PPB) और 1.42 पार्ट्स प्रति बिलियन (PPM) सोने के नमूने एकत्रित किए गए . उत्तराखंड के ये हिस्से लेसर हिमालय के नाम से जाने जाते हैं, जो उत्तर की तरफ से मेन सेंट्रल थ्रस्ट और दक्षिण की ओर नॉर्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट के बीचोबीच स्थित है.

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