Exclusive: क्या गंगा की सफाई की एक और डेडलाइन होगी मिस?

गंगा को स्वच्छ करने के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी नमामि गंगे योजना के चार साल पूरे हो गए हैं, लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा नदी में प्रदूषण पहले की तुलना में बढ़ गया है.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

विवेक पाठक / खुशदीप सहगल / अशोक उपाध्याय

  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST

इंडिया टुडे ने इसी साल जुलाई में खुलासा किया था कि किस तरह वाराणसी के घाटों पर गंगा नदी का प्रदूषण 2014 की तुलना में घटने की जगह और बढ़ गया. 2014 में मोदी सरकार ने गंगा नदी की सफाई के लिए महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे’ मिशन की शुरुआत की थी.  

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देश की सबसे पवित्र मानी जाने वाली नदी में स्वच्छता के स्तर के बारे में और जानने के लिए इंडिया टुडे ने गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत याचिका भेजी. याचिका में हमने गंगा को साफ करने के लिए शुरू किए गए नए प्रोजेक्ट, उन्हें कितना पैसा आवंटित किया गया, उनके पूरा होने की तिथि और उनके संभावित असर के बारे में पूछा गया.

जवाब में भारत सरकार की ओर से कहा गया, ‘इस प्रोजेक्ट के लिए 20,000 करोड़ रुपए आवंटित किया जा चुका है जो कि अगले पांच साल में खर्च किया जाएगा (2015-2020)’. जवाब में आगे कहा गया है कि अब तक नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कुल 221 प्रोजेक्ट विभिन्न तरह की गतिविधियों के लिए स्वीकृत किए गए हैं. इन गतिविधियों में 22238.73 करोड़ रुपए की लागत से म्युनिसिपल सीवेज ट्रीटमेंट, औद्योगिक कचरे का ट्रीटमेंट, नदी की सतह की सफाई आदि शामिल है. इनमें से 58 प्रोजेक्ट पूरे कर लिए गए हैं’.

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इस जवाब के मायने क्या निकलते हैं कि प्रोजेक्ट्स पर आवंटित फंड से 2238.73 करोड़ रुपए ज्यादा स्वीकृत किए जा चुके हैं और अभी डेढ़ साल और बाकी है. लेकिन अभी तक कुल स्वीकृत प्रोजेक्ट्स में से एक चौथाई ही पूरे किए जा सके हैं. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बारे में आरटीआई से मिले जवाब में कहा गया है, अब तक 105 सीवरेज इफ्रास्ट्रक्चर्स और एसटीपी प्रोजेक्ट्स स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनसे बिना ट्रीट किए हुए 3293.68 MLD सीवेज को गंगा नदी में सीधे गिरने से रोका जा सकेगा. कुल 26 प्रोजेक्ट अब तक पूरे किए जा चुके हैं’.

यहां भी स्वीकृत प्रोजेक्ट्स में से सिर्फ एक चौथाई ही पूरे किए जा सके हैं. सरकार ने अपने जवाब में आगे कहा, ‘जो प्रोजेक्ट अब तक लिए गए हैं, उनसे 2035 तक गंगा की मुख्य धारा की सीवेज ट्रीटमेंट जरूरतों के लिए आवश्यक सभी कदमों का ध्यान रखा जा सकेगा’.

मई 2018 में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने गंगा को साफ करने के लिए मार्च 2019 की नई डेडलाइन तय की थी. साथ ही दावा किया था कि तब तक गंगा के पानी की गुणवत्ता 70 से 80 प्रतिशत तक बेहतर हो जाएगी. ऐसी सूरत में जब अगस्त 2018 तक स्वीकृत प्रोजेक्ट्स में सिर्फ एक चौथाई ही पूरे किए जा सके हैं, तो सरकार कैसे गंगा की सफाई को लेकर अपने वादों को पूरा कर सकेगी? अगले 6-7 महीनों में कौन सा चमत्कार होगा? 2014 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के बड़े चुनावी मुद्दों में गंगा की सफाई का मुद्दा भी अहम था. लेकिन सरकार की अपनी स्टेट्स रिपोर्ट के हिसाब से ही उसने गंगा की सफाई का जो वादा किया था, उसके पूरा होने की संभावना बहुत कम है.

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इंडिया टुडे के RTI खुलासे पर सरकार ने क्या कहा?

‘नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) गंगा को स्वच्छ करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में मिशन मोड में काम कर रहा है.” प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन और अमल की मौजूदा तेज रफ्तार को देखते हुए गंगा को साफ करने के लक्ष्य को जल्द से जल्द हासिल कर लिया जाएगा’. सरकार की ओर से ये भी कहा गया है कि जो 20,000 करोड़ रुपए का बजट आवंटित हुआ है उसमें लगभग 17,000 करोड़ रुपए ही अब तक स्वीकृत हुए हैं.

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