पुणे के बिजनेसमैन हसन अली पर मनी लॉन्ड्रिंग और काले धन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने मंगलवार को कई ठिकानों पर छापे मारे. ये छापे 6 शहरों में हसन अली और उनके साथियों के 9 ठिकनों मारे गए हैं.
2011 में हसन अली और उनके साथियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने वाली ईडी ने मुंबई, पुणे, गुड़गांव और कोलकाता में छापेमारी की.
अचानक छापों की वजह
सूत्रों का कहना है कि ईडी ने ये कार्रवाई इसलिए की है क्योंकि वो इस मामले को दोबारा शुरू करना और अतिरिक्त सबूत जुटाना चाहती
है ताकि मुंबई की कोर्ट में हसन अली के खिलाफ ट्रायल शुरू किया जा सके. ईडी चाहती है कि इस केस में जल्द ही सुनवाई पूरी हो
और कोर्ट का आदेश आ सके.
ईडी ने वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, 'हम इस मामले का कानूनी अंत चाहते हैं, इसलिए ये छापे मारे गए हैं.' उन्होंने बताया, 'हसन अली के मामले में 6 शहरों में 9 ठिकानों पर तलाशी चल रही है.' उन्होंने बताया कि करीब 30 अधिकारी इस ऑपरेशन में शामिल हैं.
तय हुई थी रणनीति
ईडी चीफ करनाल सिंह हाल ही में मुंबई आए थे और एक उच्च-स्तरीय बैठक ली थी. इस बैठक में हसन अली के ठिकानों पर छापे
मारने के लिए रणनीति तैयार की गई थी, जिसके बाद ये कार्रवाई सामने आई है.
क्या है मामला
2007 में ये केस सामने आया था, हसन अली और उनके सहयोगियों पर मन लॉन्ड्रिंग, इनकम टैक्स की चोरी और पासपोर्ट एक्ट के
उल्लंघन के आरोप लगे थे. उस वक्त आयकर विभाग ने उन्हें 50 हजार करोड़ टैक्स भरने का नोटिस दिया था. दावा किया गया था कि
ये उस वक्त तक का सबसे बड़ा मनी लॉन्ड्रिंग केस था.
पुणे के 61 वर्षीय बिजनेसमैन हसन अली फिलहाल जेल से बाहर हैं और अपने घर में रह रहे हैं. 2011 में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया और 13 जमानत याचिकाएं खारिज होने के बाद आखिरकार उनकी 14वीं जमानत याचिका स्वीकार कर ली गई और वो बेल पाने में कामयाब रहे.
मोनिका शर्मा