पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पिछले दो दिनों से वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. उन्हें नई दिल्ली में आर्मी रिसर्च एंड रेफरल (आर एंड आर) अस्पताल में भर्ती कराया गया है. 84 साल के प्रणब मुखर्जी सोमवार को अपने बाथरूम में फिसल गए थे, जिसके बाद उनके दिमाग में ब्लड क्लॉटिंग हो गई. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के चिकित्सक रहे डॉ. मोहसिन वली ने aajtak.in से बात करते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बाथरूम में गिरे थे, उनके ब्रेन में ब्लड क्लॉट हो गया था, जिसके बाद उनके ब्रेन में ब्लड क्लॉट की सर्जरी की गई है और वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है.
उनकी हालत कैसी है, इस सवाल के जवाब में डॉ. वली ने कहा कि जब तक मरीज वेंटिलेटर पर होते हैं तो यही कहा जाता है कि वो क्रिटिकल हैं. उन्होंने कहा कि डॉ. प्रणब मुखर्जी शारीरिक रूप से काफी फिट रहे हैं. खान-पान का विशेष ख्याल रखते हैं. इसके अलावा 80 से ज्यादा की उम्र होने के बावजूद प्रत्येक दिन 4 किलोमीटर पैदल चलते हैं. वो अपने स्वास्थ्य का बेहद ख्याल रखते हैं.
उन्होंने बताया कि डॉ. मुखर्जी ब्लड थिनर्स पर थे. ब्लड थिनर्स पर जो लोग होते हैं उनमें खून ज्यादा बहने की संभावना होती है. इसके साथ ही उनकी उम्र भी 80 से ज्यादा है तो इसलिए कई फैक्टर्स होते हैं जिसमें ब्रेन में ब्लड लीक करने की संभावना होती है. दरअसल रक्त के थक्के को रोकने के लिए ब्लड थिनर्स का इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि थक्के हृदय, फेफड़ों या मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को रोक सकते हैं जो बेहद खतरनाक है.
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डॉ. वली ने बताया कि उनके घर में काफी व्यवस्था थी. फ्लोर पर चिकना ना हो. बाथरूम में हैंडल हो, जिसको पकड़ कर वह खड़े हो सकें. उन्हें सलाह दिया गया था कि वो बाथरूम को अंदर से ना बंद करें. तमाम सावधानियां बरती जा रही थीं. सोमवार को जब वो गिरे तो फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में 72 घंटे तक डॉक्टर निगरानी में रखते हैं. अभी दो दिन हुआ है, तीसरे दिन उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट से हटा कर देखा जाएगा. आशा है कि उनका वेंटिलेटर हट जाएगा. वहीं कोरोना को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें कोविड-19 का संक्रमण ज्यादा नहीं है.
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डॉ. वली ने बताया कि डॉ. मुखर्जी इतने बड़े ओहदे पर होने के बावजूद जीवन में काफी अनुशासित हैं. वो मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं. उनकी याददाश्त काफी बेहतर हैं. वो अभी भी ऑफिस की तरह ही सुबह और शाम को अपने घर पर बैठ जाते हैं.
दीपक सिंह स्वरोची