दक्षिण भारत में फिर हिंदी विरोध के सुर उभरने लगे हैं. डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने रेलवे परीक्षाओं को लेकर एक और हिंदी विरोधी आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने भारतीय रेलवे द्वारा हिंदी और अंग्रेजी में रेलवे कर्मचारियों के लिए सामान्य विभागीय प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने के निर्णय की निंदा की है.
उन्होंने इसे तमिल जनता के साथ भेदभाव करार दिया है. वहीं डीएमके सांसद कनिमोझी ने सेंट्रल रेलवे स्टेशन के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया और रेलवे बोर्ड से अनुरोध किया कि वह अपना फैसला तुरंत वापस ले ले. कनिमोझी दक्षिणी रेलवे के अधिकारियों से भी मिलीं और ज्ञापन सौंपकर फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा.
स्टालिन ने रेलवे बोर्ड को क्षेत्रीय भाषाओं में सामान्य विभागीय प्रतियोगी परीक्षा (जीडीसीई) आयोजित नहीं करने पर तमिलों के खिलाफ भेदभाव करने का आरोप लगाया है. लिहाजा, हिंदी और अंग्रेजी में परीक्षा आयोजित करने के रेलवे बोर्ड के फैसले से तमिलनाडु में विवाद बढ़ गया है.
डीएमके की तरफ से जारी बयान के मुताबिक इस बाबत साउथ सेंट्रल रेलवे ने सवाल उठाए थे. लेकिन रेलवे बोर्ड ने इसके जवाब में कहा कि परीक्षा केवल दो ही भाषाओं में आयोजित की जाएगी. स्टालिन ने चेतावनी दी है कि यदि रेलवे बोर्ड ने सिर्फ दो ही भाषाओं में परीक्षा कराने का फैसला वापस नहीं लिया तो वह फिर हिंदी विरोधी आंदोलन छेड़ देंगे.
स्टालिन ने कहा, 'केंद्र राज्यों पर हिंदी थोपना चाहता है. रेलवे बोर्ड का फैसला अस्वीकार्य है. बोर्ड को फौरन अपना सर्कुलर वापस लेना चाहिए और सभी क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा के लिए रास्ता साफ करना चाहिए. अगर सर्कुलर वापस नहीं लिया गया तो हम हिंदी विरोधी आंदोलन करने में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे.'
पार्टी के बयान में दावा किया गया कि साउथ सेंट्रल रेलवे द्वारा बोर्ड से इस संबंध में सवाल किए गए थे. 21 अगस्त को जारी सर्कुलर में रेलवे बोर्ड ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन सिर्फ दो भाषाओं हिंदी और अंग्रेजी में किया जाएगा.
बता दें कि 1993 में शुरू की गई सामान्य विभागीय प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन 25% रिक्त पदों को सीधे भरने के लिए किया जाता है. आवश्यक योग्यता वाले रेलवे के मौजूदा कर्मचारी परीक्षा में हिस्सा लेते हैं.
डाक विभाग की परीक्षा हो गई थी कैंसिल
हाल ही में केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में राजनीतिक दलों के विरोध के बाद डाक विभाग की हिंदी और अंग्रेजी में आयोजित परीक्षा को रद्द कर दिया था. डीएमके और अन्नाद्रमुक दोनों ने एक सुर में सिर्फ दो भाषाओं में परीक्षा के आयोजन का विरोध किया था. दोनों दलों ने संसद में भी यह मसला उठाया था और उनके हंगामा के चलते संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी. इन दलों का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों में नियुक्ति के लिए डाक विभाग की परीक्षा का आयोजन किया गया था और अंग्रेजी-हिंदी में परीक्षा के आयोजन से ग्रामीण उम्मीदवारों को नुकसान होगा.
लोकप्रिया वासुदेवन