चक्रवात निसर्ग एक सप्ताह के भीतर अरब सागर में आने वाला दूसरा चक्रवात है. इससे पहले ओमान चक्रवात 29 मई को अरब सागर के पश्चिमी तट पर टकराया था जिसमें कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई थी. ओमान चक्रवात से प्रभावित कुछ क्षेत्रों में दो साल की बारिश के बराबर बारिश हुई थी.
निसर्ग का बंगाली अर्थ 'प्रकृति'
अब, चक्रवात निसर्ग जिसका बंगाली भाषा में 'प्रकृति' या 'ब्रह्मांड' अर्थ होता है, और इसका मुंबई के अलावा महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में कहर ढाने की संभावना है.
अरब प्रायद्वीप के अरब सागर में 2015 में भी एक सप्ताह के भीतर ऐसे ही 2 भीषण चक्रवात आए थे, जिन्होंने जमकर तबाही मचाई थी. हालांकि इस बार दो चक्रवात अलग-अलग तटों पर आए.
मॉनसून में तेजी
चक्रवात निसर्ग ने दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को भी मजबूत किया है. मौसम विभाग ने 15 मई को मॉनसून के आने में चार दिनों तक देरी होने का पूर्वानुमान किया था.
मॉनसून के 5 जून को केरल के तट से टकराने की संभावना थी, लेकिन अब यह पहले ही यानी 1 जून को आ गया और यह मुख्य रूप से चक्रवात निसर्ग की वजह से हुआ है.
मॉनसून-चक्रवात का यह संयोजन पिछले साल 2019 में भी देखा गया था. दक्षिण -पश्चिम मॉनसून की शुरुआत के एक हफ्ते बाद साइक्लोन वायु आया था. हालांकि चक्रवात वायु सौराष्ट्र में कुछ नुकसान करने के बाद खत्म हो गया, लेकिन इसकी वजह से जून के तीसरे सप्ताह में ही यानी समयपूर्व ही मॉनसून पर असर पड़ गया.
परिणामस्वरूप, जून के अंत तक भारत में 33 प्रतिशत कम बारिश हुई थी. हालांकि जुलाई के पहले सप्ताह में बारिश की स्थिति में सुधार हुआ. अंत में, भारत में वार्षिक वर्षा का औसत 109 फीसदी रहा था. चक्रवात निसर्ग भारत में मॉनसून के बादल को थोड़ा पहले पहुंचा सकता है.
मई तक निसर्ग के आने की संभावना नहीं थी
मई के मध्य में, मौसम विभाग को अरब सागर में किसी तरह के चक्रवात के आने की उम्मीद नहीं थी. यहां तक कि 28 मई को, इसने अरब सागर में एक डिप्रेशन के आने की बात कही गई जो मॉनसून को आगे बढ़ाएगा लेकिन तब भी किसी तरह के चक्रवात की बात नहीं कही गई थी.
यह इस ओर इंगित करता है कि अरब सागर के व्यवहार में एक आश्चर्यजनक बदलाव देखा गया जो लंबे समय से शांति के लिए जाना जाता है. जबकि इसकी तुलना में बंगाल की खाड़ी ज्यादा खतरनाक है और यह तीन-चार गुना ज्यादा चक्रवातों का सामना करता है जबकि अरब सागर सालभर में औसतन एक चक्रवात आता है.
बढ़ रही हैं समस्याएं
मौसम विभाग ने 1891 और 2018 के बीच बंगाल की खाड़ी में 520 की तुलना में अरब सागर में 126 चक्रवात दर्ज किए हैं. मैौसम विभाग ने चक्रवात निसर्ग के आने का पूर्वानुमान किया था. अरब सागर के चक्रवाती प्रकृति में अचानक बदलाव से समस्याओं का एक नया सेट बन गया है. बार-बार बारिश, अरब प्रायद्वीप में बाढ़ और भारत में टिड्डों के दल का हमला, जो अरब के रेगिस्तानों से निकलता है.
जलवायु परिवर्तन से बढ़ रहे चक्रवात
मौसम विज्ञानी लगातार सुझाव दे रहे हैं कि अरब सागर चक्रवातों के नए उद्भव के रूप में उभर रहा है. वायुमंडलीय वैज्ञानिक हिरोयुकी मुराकामी ने अरब सागर में उत्पन्न होने वाले चक्रवातों का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि जलवायु परिवर्तन के कारण इस क्षेत्र में चक्रवाती तूफानों का बहुमत (64 प्रतिशत) है.
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मौसम विभाग ने भी इस साल जनवरी में भारत के जलवायु पर अपने बयान में इसे स्वीकार किया था. मौसम विभाग के अनुसार, अरब सागर ने 1 वर्ष के सामान्य के मुकाबले इन 8 चक्रवातों में से 5 का योगदान दिया, जो अरब सागर पर चक्रवातों की उच्चतम आवृत्ति के लिए 1902 के पिछले रिकॉर्ड के बराबर है.
मौसम विभाग ने यह भी कहा कि इस साल अरब सागर पर अधिक तीव्र चक्रवातों के विकास को भी दर्ज किया गया.
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संयुक्त राष्ट्र की निकाय, IPCC ने पाया कि अरब सागर की समुद्री सतह का तापमान बढ़ रहा है. उष्णकटिबंधीय समुद्र में 30-33 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान चक्रवाती अवसादों की उत्पत्ति का कारण बन रहा है.
प्रभाष के दत्ता