राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने 17 मई को राज्यों को एक चिट्ठी भेजी. इसमें सुझाव दिया गया कि वो अपने जिलों या म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन्स को रेड, ऑरेन्ज या ग्रीन में वर्गीकृत करें. साथ ही छह मापदंडों को सूचीबद्ध किया गया जिससे राज्यों का प्रदर्शन निर्भर करता है. इसमें हर एक के लिए ‘क्रिटिकल’ और ‘वांछित’ स्तर है.
ये छह मापदंड क्या हैं और भारत के राज्य और जिले अब तक इनमें से प्रत्येक मापदंड पर कहां खड़े हैं?
पहला मापदंड सक्रिय केसों से जुड़ा है. स्पेक्ट्रम के "वांछित" स्तर पर, भारत में कम से कम 224 जिलों में अब कोई सक्रिय केस नहीं हैं. इनमें तमिलनाडु के दो जिले भी हैं जहां किसी समय 100 सक्रिय केस रिपोर्ट हो चुके थे. जहां तक “क्रिटिकल” स्तर की बात की जाए तो कम से कम 37 जिलों में 200 से अधिक केस हैं. इसमें भारत के 10 सबसे बड़े शहरों में से बेंगलुरु को छोड़कर 9 शामिल हैं. बेंगलुरु में अब तक 111 सक्रिय केस हैं.
दूसरा मापदंड, हर एक लाख की आबादी पर सक्रिय केस की संख्या पर गौर करता है. भारत के सबसे बड़े शहरों में बेंगलुरु और जयपुर को छोड़कर, उनकी आबादी के अनुपात के हिसाब से सक्रिय केस है.
तीसरा मापदंड सात-दिन की अवधि में केसों के दोगुने होने की दर को देखता है. दैनिक केसों के आंकड़े जिला या शहर स्तर पर उपलब्ध न होकर केवल राज्य स्तर पर उपलब्ध हैं. मौजूदा स्थिति में पंजाब, केरल और आंध्र प्रदेश ऐसे राज्य हैं जो 28 दिनों से अधिक की दर पर केस दोगुने होने के मापदंड को पूरा कर रहे हैं. जबकि महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक और तमिलनाडु उन राज्यों में शामिल हैं जहां केस चिंताजनक ढंग से बढ़ रहे हैं.
चौथा मापदंड मौतों के आंकड़े से जुड़ा है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश, दोनों राज्यों में 12-12 जिले उन 62 जिलों में शामिल हैं जहां "क्रिटिकल" केस मृत्यु दर (CFR) है. जबकि 377 जिलों में CFR "वांछित" स्तर पर है. पांचवें और छठे मापदंड टेस्टिंग से जुड़े हैं. इसके लिए डेटा केवल राज्य स्तर पर मौजूद है.
महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात सहित अठारह राज्य “वांछित स्तर” पर टेस्टिंग कर रहे हैं. इन तीन राज्यों में भारत में कोरोनो वायरस के सबसे अधिक केस हैं. दूसरी ओर, उत्तर और पूर्व के गरीब राज्यों में, जिनमें नॉर्थ-ईस्ट के कुछ छोटे राज्य भी शामिल हैं, अब भी “क्रिटिकल” कम स्तर पर टेस्टिंग हो रही है.
फिर भी, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली उन राज्यों में से हैं, जहां क्रिटिकल स्तर पर ऊंची सेम्पल पॉजिटिविटी दर दर्ज हो रही है. इसके मायने हैं कि उन्हें या तो बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की आवश्यकता है या वहां संक्रमण चिंताजनक ढंग से फैला हुआ है.
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