देश में लगातार कोरोना वायरस के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है. हर रोज कोरोना वायरस के नए मरीज सामने आ रहे हैं. वहीं कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए सरकार अब एक नई रणनीति अपनाने वाली है.
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देश में कुछ राज्यों में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार उछाल देखा गया है. सरकार के सूत्रों के मुताबिक बड़े पैमाने पर पलायन ने बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के सामने एक और चुनौती पेश की है. वहीं अब सरकार ने इंटेलिजेंट टेस्टिंग स्ट्रेटेजी को विकसित किया है ताकि भारत में कोरोना टेस्टिंग को बढ़ाया जा सके.
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कुल 609 लैब (431 सार्वजनिक और 178 निजी) के साथ भारत पहले से ही पिछले कुछ दिनों में 1 लाख प्रतिदिन टेस्टिंग के स्तर को छू चुका है. अब आने वाले दिनों में 2 लाख प्रति दिन तक इस टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है.
ट्रूनेट मशीन की तैनाती
आईसीएमआर ने पहले ही अपने परीक्षण मानदंडों का विस्तार कर लिया है ताकि लौटने वाले प्रवासियों और अन्य फ्रंट लाइन कर्मचारियों को शामिल किया जा सके. आरटी-पीसीआर परीक्षण के अलावा जो राज्य टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं, उन्हें कोविड टेस्टिंग काम के लिए ट्रूनेट मशीन की तैनाती के लिए कहा गया है.
यह बैटरी संचालित मशीन है जो एक साथ दो नमूने का परीक्षण कर सकती है और 60-90 मिनट के बीच परिणाम प्रदान कर सकती है. इस मशीन के माध्यम से ऐसे क्षेत्रों या जिलों में परीक्षण किया जा रहा है, जहां आधुनिक वायरोलॉजिकल लैब (निजी या सार्वजनिक) नहीं हैं.
कई राज्यों में मशीन का उपयोग
वर्तमान में 15 राज्यों में 367 मशीनें हैं और इसे 20 जून तक सभी राज्यों में 608 अतिरिक्त मशीनों की उपलब्धता बढ़ाने का लक्ष्य है. बिहार, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और अन्य राज्य इस मशीन का उपयोग कर रहे हैं. बिहार (17 परीक्षण प्रयोगशाला), ओडिशा (17), यूपी (27) और पश्चिम बंगाल (36) जैसे राज्यों में क्षमता बढ़ गई है.
इसके अलावा आईसीएमआर कोविड-19 परीक्षण के लिए एलिसा का उपयोग करने पर भी काम कर रहा है. इसके अलावा सरकार ने COBAS 8800 मशीन भी खरीदी और दिल्ली, बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में स्थापित की है. इससे एक दिन में 1400 से 4000 सैंपल के बीच परीक्षण किया जा सकता है.
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