कोरोना के खिलाफ जारी जंग के बीच संसद का मानसून सत्र मौजूदा हालात पर निर्भर रहेगा. हाल ही में राज्यसभा सदस्यों के साथ बातचीत में सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि पूरे देश में कोरोना की रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और परिणाम भी जमीन पर दिखाई दे रहा है. ऐसे में सदन के सामान्य कार्यक्रम की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन जमीनी स्थिति क्या होगी, उस पर सत्र निर्भर करेगा.
बता दें कि संसद में हर साल तीन सत्र होते हैं. बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र. इस साल बजट सत्र को कोरोना वायरस प्रकोप और लॉकडाउन के कारण बंद कर दिया गया था.
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सभापति ने की राज्यसभा सदस्यों की बातचीत
वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले कुछ दिनों के दौरान फोन पर नवनिर्वाचित सदस्यों सहित लगभग सभी राज्यसभा सदस्यों से बात की. यह जानकर खुशी हुई कि वे कोरोना के खिलाफ राष्ट्रीय लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कल्याणकारी गतिविधियों में लगे हुए हैं.
मास्क और दूरी की अनिवार्यता तय होगी
जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में भी मास्क और दूरी की अनिवार्यता तय होगी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि लोकसभा में 545 सांसदों और राज्यसभा के 243 सांसदों के बीच दूरी कैसे रखी जा सकेगी क्योंकि लोकसभा में और राज्यसभा में जितने सांसद हैं उतनी ही सीटें भी हैं. ऐसे में सांसद दूरी कैसे कायम रख सकेंगे.
लोकसभा सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि इस दिशा में विचार कर एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. यदि मानसून सत्र के दौरान तक सोशल डिस्टेंसिंग की अनिवार्यता रही तो ऐसे में लोकसभा की कार्यवाही सेंट्रल हॉल से संचालित की जा सकती है जबकि राज्यसभा की कार्यवाही को स्थानांतरित कर लोकसभा में लाया जा सकता है.
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