377 पर फैसला: खुशी में होटल के स्टाफ ने जमकर किया डांस, मनाया जश्न

भारत में समलैंगिकता अब अपराध नहीं रह गया. सु्प्रीम कोर्ट ने धारा 377 पर सुनवाई करते हुए ऐसे संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है. सन् 1860 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भारतीय दंड संहिता में धारा 377 को शामिल किया और उसी वक्त इसे भारत में लागू कर दिया गया.

Advertisement
जश्न मनाते लोग (फोटो: एएनआई) जश्न मनाते लोग (फोटो: एएनआई)

रविकांत सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए भारत में दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने को मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को मनमाना करार देते हुए व्यक्तिगत चुनाव को सम्मान देने की बात कही.

Advertisement

यह फैसला आने के बाद उन संगठनों में खुशी की लहर दौड़ गई जो लंबे दिनों से समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर कराना चाहते थे. दिल्ली के ललित होटल से एक चौंकाने वाला वीडियो भी सामने आया जिसमें होटल स्टाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जश्न में डूबे दिखे. वीडियो में स्टाफ को एक साथ डांस करते देखा जा रहा है.

ललित होटल ग्रुप के कार्यकारी निदेशक इस फैसले से काफी खुश नजर आए. उन्होंने एएनआई से कहा, इस केस से जुड़े जज, वकील और लोगों को मैं धन्यवाद देता हूं. जितने लोग इस केस से जुड़े थे उन्हें धन्यवाद दिया जाना चाहिए. जश्न मनाने का यह बहुत बड़ा मौका है. सूरी समलैंगिक संबंधों के बहुत बड़े पैरोकार माने जाते हैं. उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट में इसकी याचिका डाली थी.

Advertisement

गौरतलब है कि आपसी सहमति से समलैंगिक यौन संबंध बनाए जाने को अपराध की श्रेणी में रखने वाली आईपीसी की धारा 377 की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इससे संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. अब भारत में समलैंगिक संबंध अपराध नहीं होंगे. बीती 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने 4 दिन की सुनवाई के बाद इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.

क्या कहती है धारा 377

धारा 377 में अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध के तौर परिभाषित किया गया है. इस धारा के मुताबिक जो कोई भी प्रकृति की व्यवस्था के विपरीत किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ यौनाचार करता है, उसे उम्रकैद या दस साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है. आईपीसी में समलैंगिकता को अपराध माना गया है. आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ सेक्स करता है, तो इस अपराध के लिए उसे 10 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किए जाने का प्रावधान है. उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और यह गैर जमानती भी है.

Advertisement

भारत में धारा 377

सन् 1860 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भारतीय दंड संहिता में धारा 377 को शामिल किया और उसी वक्त इसे भारत में लागू कर दिया गया. 1861 में सजा-ए-मौत का प्रावधान भी हटा दिया गया. 1861 में जब लॉर्ड मैकाले ने आईपीसी ड्राफ्ट किया तो उसमें इस अपराध के लिए धारा 377 का प्रावधान किया गया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement