जयराम रमेश के बाद अब मणिशंकर अय्यर बोले- हकीकत से आंखें ना चुराए कांग्रेस

एक के बाद एक कई मोर्चों पर बीजेपी के हाथों हार झेल रही कांग्रेस को लेकर अय्यर ने कहा, कांग्रेस को हकीकत का सामना करना चाहिए. आज लोकसभा में हमारे पास महज 44 सीटें हैं. पिछले दिनों कई राज्यों में हुए चुनावों में हमारे नाकामयाबी झेलनी पड़ी.

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मणिशंकर अय्यर की फाइल फोटो मणिशंकर अय्यर की फाइल फोटो

साद बिन उमर

  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

कांग्रेस के अस्तित्व पर संकट को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश की बातों का मणिशंकर अय्यर ने भी समर्थन किया है. इंडिया टुडे से बातचीत में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अय्यर ने कहा कि उन्होंने पहले खुद भी ऐसी ही राय व्यक्त की थी.

एक के बाद एक कई मोर्चों पर बीजेपी के हाथों हार झेल रही कांग्रेस को लेकर अय्यर ने कहा, कांग्रेस को हकीकत का सामना करना चाहिए. आज लोकसभा में हमारे पास महज 44 सीटें हैं. पिछले दिनों कई राज्यों में हुए चुनावों में हमारे नाकामयाबी झेलनी पड़ी.

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दरअसल वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पिछले दिनों कहा था कि कांग्रेस अस्तित्व के संकट से गुजर रही है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से मिल रही चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए पार्टी नेताओं की ओर से समन्वित कोशिश की वकालत की थी.

जयराम रमेश की टिप्पणी पर जब अय्यर से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, 'जयराम जी ने नई सोच, विचार और अभिव्यक्ति को लेकर बातें कही थी, लेकिन उन्होंने हमें यह नहीं बताया कि ये क्या है. शायद कोच्चि से लौटने के बाद वह किसी सुविधाजनक मंच पर अपने ये विचार पेश करें.'

वहीं कांग्रेस को दोबारा मजबूत करने को लेकर जब मणिशंकर अय्यर से उनके विचार पूछा गया, तो उन्होंने कहा, कांग्रेस को मजबूत करने के लिए हमें अपनी पुरानी परंपराओं की तरफ लौटना होगा. हमें प्रतिनिधि वाले लोकतंत्र के बजाय भागीदारी वाला लोकतंत्र अपनाना चाहिए.

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वहीं गुजरात में हुए राज्यसभा चुनावों को लेकर पूछ गए सवाल पर इस वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, अगर अमित शाह ने वहां 'खेल' नहीं किया होगा, तो यह बस एक रूटीन इलेक्शन होता. अय्यर कहते हैं, 'उन्होंने (शाह ने) सोचा कि इस तरह वह न सिर्फ अपने पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वि अहमद पटेल को खत्म कर देंगे, बल्कि सोनिया गांधी की छवि को भी नुकसान पहुंचाएंगे. हालांकि उन्हें इसमें मूंह की खानी पड़ी.'

 

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