कांग्रेसी नेताओं को अब आरएसएस और बीजेपी के फार्मूले का उदाहरण दे रहे हैं राहुल!

राहुल ने नई जिम्मेदारी पाने वाले प्रभारी महासचिवों और सचिवों से दो टूक कहा कि प्रदेश अध्यक्ष या प्रदेश में किसी अहम पद पर नियुक्ति कार्यकर्ताओं से बातचीत करके की जाए.

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी

कुमार विक्रांत / सुरभि गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2017,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

कांग्रेस पार्टी में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. हाल में नियुक्त हुए महासचिवों और सचिवों ने प्रभार संभाल भी लिया है. प्रभार संभालने से पहले सभी की कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधई से मुलाकात भी हो रही है. इस मुलाकात में राहुल सभी को पहले की कार्यशैली बदलने की सलाह दे रहे हैं.

हर फैसले में कार्यकर्ताओं को शामिल करने की योजना
सूत्रों के मुताबिक राहुल का फोकस कार्यकर्ताओं को हर फैसले में शामिल करने का है. मसलन अगर किसी प्रदेश में नया अध्यक्ष बनाना है तो दिल्ली के चक्कर लगाने वाले या किसी बड़े नेता के चहेते को ना बनाया जाए, बल्कि कार्यकर्ताओं से प्रभारी महासचिव और प्रभारी सचिव बातचीत करें और जो बेहतर हो उसी को नियुक्त कर दें.

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राहुल ने नई जिम्मेदारी पाने वाले प्रभारी महासचिवों और सचिवों से दो टूक कहा कि प्रदेश अध्यक्ष या प्रदेश में किसी अहम पद पर नियुक्ति कार्यकर्ताओं से बातचीत करके की जाए. इन पदों पर राहुल खुद नियुक्ति करने की बजाए सचिवों को ये जिम्मेदारी देते हुए भविष्य में उनकी ही जवाबदेही निश्चित कर रहे हैं.

पार्टी की मजबूती के लिए हर कार्यकर्ता अहम
सूत्र बताते हैं कि इसी नसीहत के बीच राहुल ने कहा , कार्यकर्ताओं की अहमियत समझे बिना पार्टी मजबूत नहीं हो सकती.' राहुल ने उदाहरण देते हुए कहा, कैसे पहले आरएसएस का कार्यकर्ता बतौर प्रचारक अपनी भूमिका निभाता है, फिर बाद में उसकी एंट्री बीजेपी में की जाती है. इसी तरह हमको भी अपने कार्यकर्ता को विश्वास दिलाना होगा कि अगर वो मेहनत कर रहा है, तो पार्टी के फैसलों में उसकी राय भी ली जा रही है और बाद में बेहतर कार्यकर्ता को संगठन में अहम पद भी दिया जाएगा.'

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राहुल की हिदायत बदली जाए पार्टी की कार्यशैली
सूत्रों का ये भी कहना है कि राहुल की इस नसीहत पर नेताओं ने सवाल उठाया, 'कैसे यूपीए सरकार के दौरान कई ऐसे पद खाली पड़े रहे, जहां कार्यकर्ताओं को एडजस्ट किया जा सकता था.' इस पर सहमति जताते हुए राहुल ने कहा वे वही कल्चर बदलना चाहते हैं. राहुल ने बताया कि राजस्थान में भी तमाम पद खाली पड़े रहे, जहां वर्कर्स को एडजस्ट किया जा सकता था. इस पर जब जानकारी ली तो पता चला कि वो पद सिर्फ इसलिए खाली रखे गए क्योंकि जिन कार्यकर्ताओं को पद नहीं मिल पाएगा, वो नाखुश हो जाएंगे और सभी को पद देना संभव नहीं. इस पर राहुल ने कहा कि ऐसा आगे नहीं चलेगा और ना ही वे ऐसी दलीलें मानेंगे.

आरएसएस की विचारधारा से मुकाबला करना चाहती है कांग्रेस
दरअसल राहुल का सपना कांग्रेस को कैडर बेस पार्टी बनाने का रहा है. सत्ता में रहते अरसे से वो इसकी कवायद में लगे रहे. सत्ता में रहते तो राहुल इसमें सफल नहीं हो सके. अब सत्ता से बाहर होने के तीन साल बाद पार्टी संगठन में हो रहे बदलावों के बाद राहुल फिर अपनी कोशिश में जुट गए हैं. आखिर राहुल आरएसएस की विचारधारा के धुर विरोधी हैं, जिससे टकराने के लिए वो भी चाहते हैं आरएसएस की तर्ज पर कांग्रेस का भी कैडर हो, जिसके सहारे वो आरएसएस की विचारधारा से मजबूती से मुकाबला कर सकें.

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