राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने RTI संशोधन बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसमें राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं, साथ ही कानून को कमजोर किया जा रहा है.
आजाद ने कहा कि केंद्र के अधिकार तो कम किए ही जा रहे हैं, इस वजह से बिल पर 4-5 घंटे की बहस से कुछ नहीं होगा. संसदीय समिति से बिल की निगरानी होनी चाहिए. संसदीय कार्य मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि आज सिर्फ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण संबंधी बिल पर चर्चा होनी है, बाकी बिल सिर्फ पेश किए जाने हैं.
आजाद ने कहा, 'RTI आज भले ही न ले रहे हों, लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि वो जाएगा सेलेक्ट कमेटी में ही, हम आपको पहले से बता रहे हैं, उसे मत लगाएं, अगर लगाएंगे तो हम उसका विरोध करेंगे.' बीजेपी के भूपेंद्र यादव ने कहा कि जब बिल चर्चा के लिए आए तब उसे कमेटी के पास भेजने की मांग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को पक्ष रखने का मौका दिया जाए. फिर उस पर सहमति भी बन सकती है.
टीएमसी के डेरेक ओ ब्राइन ने कहा कि विधेयकों को संसदीय समितियों के पास नहीं भेजा जा रहा है और परंपरा को तोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि निगरानी के लिए ही समितियों को गठन किया गया है. विपक्ष अपनी भूमिका निभाने को तैयार है, लेकिन सरकार को भी सहयोग देना चाहिए. बता दें कि सोमवार को लोकसभा ने आरटीआई अधिनियम में संशोधन को अनुमति दी थी. 2018 में भी मोदी सरकार ने ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली.
लोकसभा द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम में संशोधन को अनुमति देने पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ये कदम उठाकर भारतीय नागरिकों को धोखा दे रही है.
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