महज 5 साल का रिपोर्टिंग करियर. सिर्फ 30 साल की उम्र. आंखों में हमेशा कुछ कर गुजरने का जज़्बा और बातों में एक हीरो की हर अदाएं. रजत सिंह कुछ इस तरह की शख्सियत रखते थे. दिल्ली आज तक से रजत साल 2012 में जुड़े और तब से वो चैनल के सबसे जाने पहचाने चेहरों में एक बन गए. उनकी सबसे बड़ी ख़ासियत थी उनका रेंज. स्टोरी चाहे जिस भी फील्ड से हो, रजत सिंह कर रहे है तो अच्छा ही करेंगे.
दिल्ली पर आतंकी साया हो, राजनीति की सरगर्मियां, रियल स्टेट पर मंदी की मार हो, या मां-बाप के तिरस्कार की शिकार मासूम बच्चियों की दर्द भरी दास्तान. उनकी हर खबर में बराबर पकड़ थी. संजीदगी तो इस कदर दिखती थी उनकी कहानियों में मानो वाकई वो उनकी अपनी लिखी पटकथा हो. तभी तो उनकी पत्रकारिता में मानवीय रंगों के साथ विषयों की गंभीरता साफ़ दिखाई पड़ती थी.
इसके साथ ही शुरू हुआ वो सफर जिसमें रजत सिंह ने अपनी अलग पहचान कायम की. रजत सिंह ने अरावली की पहाड़ियों में हो रहे अवैध खनन की वो तस्वीर दुनिया के सामने पेश की जिसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया और इसी उपलब्धि के लिये उन्हें प्रेस क्लब के प्रतिष्ठित रेड इंक अवार्ड से नवाज़ा गया. रजत ने दिल्लीवालों की उन तकलीफों को भी हुकमरानों तक पहुंचाया जिन्हें जानकर भी सब अनजान बने हुए थे. बुद्धा सर्किट पर होने वाली रेस से लेकर ऑटो एक्सपो तक, रजत सिंह हर जगह पहुंचे. इतना ही नहीं उन्होंने शाहरुख की ज़िंदगी के अनछुए पहलुओं से भी दिल्ली वालों को रूबरू कराया.
आम आदमी पार्टी विधायक संदीप कुमार सीडी सेक्स स्केंडल में पीड़ित महिला को ढूंढने वाला भी और कोई नहीं यही तेज तर्रार दिल्ली आजतक का सिपाही था. रजत सिंह दिल्ली की हर छोटी बड़ी खबर से जुड़े थे. उन्होंने दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर दौड़ने वाली मौत की दिल दहलाने वाली हकीकत भी लोगों के सामने रखी. लेकिन रविवार को कलम का ये सिपाही खुद एक हादसे का शिकार हो गया. उनकी बाइक नोएडा में एक ट्रक से टकरा गई. इस बार जंग ज़िंदगी और मौत की थी. लेकिन 36 घंटे की जद्दोजहद के बाद एम्स ट्रॉमा सेंटर में मंगलवार शाम उन्होंने आखिरी सांस ली.
रजत सिंह का जन्म 3 जुलाई 1986 को हुआ था. महज़ तीस साल की उम्र में वो दिल्ली आजतक की शान बने. पत्रकारिता के आसमान का ये सितारा अब हमारे बीच नहीं है. इस दुःख की घड़ी में आजतक अपने दर्शकों को साथ जोड़कर उनके परिवार के लिए धैर्य और साहस की प्रार्थना करता है.
सबा नाज़