कानून बना नागरिकता संशोधन विधेयक, राष्ट्रपति की मिली मंजूरी

लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद नागरिकता संशोधन बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है. इसके साथ ही अब ये कानून बन चुका है.

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नागरिकता बिल के विरोध में प्रदर्शन (Photo- PTI) नागरिकता बिल के विरोध में प्रदर्शन (Photo- PTI)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:11 AM IST

  • राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद कानून बना CAB
  • बुधवार को राज्यसभा में इसे पारित किया गया था

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था. गुरुवार देर रात राष्ट्रपति की ओर से इसे मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून में बदल गया.राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े.

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इससे पहले विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया. इस कानून के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में अवैध तरीके से रहने वाले अप्रवासियों के लिए अपने निवास का कोई प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा.

भारत की नागरिकता के लिए पात्र होने की समय सीमा 31 दिसंबर 2014 होगी. मतलब इस तारीख के पहले या इस तारीख तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे. नागरिकता पिछली तारीख से लागू होगी. कानून बनने से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में सोमवार को ही पारित हो गया था.

नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन

विधेयक पारित होने के बाद देश के कुछ हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हुए. असम में विरोध प्रदर्शन में आगजनी और तोड़-फोड़ की गई, जिसके बाद वहां कई जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.

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बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नॉर्थ ईस्ट में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. पूर्वोत्त के असम, मेघालय और त्रिपुरा राज्य में हिंसक प्रदर्शन जारी है. हालात स्थिर करने के लिए लगातार सुरक्षा बलों का फ्लैग मार्च कराया जा रहा है. मेघालय में मोबाइल इंटरनेट और मैसेजिंग सेवा पर पाबंदी लगा दी गई है. मेघालय में 48 घंटों के लिए मोबाइल, इंटरनेट और मैसेजिंग सेवा को बंद किया गया है. वहीं, गुवाहाटी के बाद शिलॉन्ग में गुरुवार रात 10 से कर्फ्यू लगा दिया गया है.

भारत आए अल्पसंख्यकों को मिलेगी सुविधा: शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल पेश करने के बाद कहा था, इस सदन के सामने एक ऐतिहासिक बिल लेकर आया हूं , इस बिल के जो प्रावधान हैं उससे लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा होगा. अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यक रहते थे, उनके अधिकारों की सुरक्षा नहीं होती थी उन्हें वहां पर समानता का अधिकार नहीं मिला था. जो अल्पसंख्यक धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत में आए, उन्हें यहां पर सुविधा नहीं मिली. पाकिस्तान में पहले 20 फीसदी अल्पसंख्यक थे, लेकिन आज 3 फीसदी ही बचे हैं. इस बिल के जरिए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को रियातत मिलेगी.'

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वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो आज यह बिल लेकर आने की जरूरत नहीं पड़ती.

'आर्टिकल 14 का ही नहीं, कई अनुच्छेद का उल्लंखन'

वहीं, नागरिकता संशोधन को लेकर यह भी सवाल खड़े हुए कि यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है. पूर्व लोकसभा सेक्रेटरी और कानूनी जानकार पीडीटी आचार्य ने भी इस कानून पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा, ‘जैसा कि बिल अभी अब दिख रहा है, वह सिर्फ आर्टिकल 14 का ही नहीं, बल्कि आर्टिकल 5, आर्टिकल 11 का भी उल्लंघन करता है जो कि नागरिकता के अधिकार को परिभाषित करता है.’

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