अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर मशहूर लेखक अमीष त्रिपाठी ने कहा कि भारत के लोग अपने प्रचीन इतिहास से फिर से जुड़ने जा रहे हैं. इस मंदिर का निर्माण ऐसा है कि जो लोगों को अतीत से जोड़ने में मदद करेगा. साथ ही पूर्वजों के प्रति सम्मान भी बढ़ेगा.
इंडिया टुडे के न्यूज ट्रैक प्रोग्राम में अमीष त्रिपाठी ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली का दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा ये है कि हमारे इतिहासकारों ने राष्ट्र के प्रति घृणा का काम किया है. उन्होंने कहा कि जो इतिहास हमें पढ़ाया जाता है, वो हमारे ऊपर आक्रमण करने वालों का इतिहास है.
अमीष त्रिपाठी ने कहा कि हम में से कई भारतीय (विशेष रूप से शिक्षित लोग) महसूस नहीं करते हैं कि हम एकमात्र जीवित pre-Bronze age की संस्कृति हैं. हर दूसरे pre-Bronze age संस्कृति को मिटा दिया गया है. चीन भी एक प्राचीन संस्कृति है, लेकिन pre-Bronze age नहीं है.
इसलिए पुनर्निर्माण और फिर से जोड़ने के लिए हमारे प्राचीन अतीत के साथ कुछ ऐसे तरीके हैं जो हमें पिछले 1,000 सालों में हुए आक्रमणों के दर्द के साथ शांति बनाने में मदद करते हैं. साथ ही अपने पूर्वजों की बहादुरी को स्वीकार करने में मदद करते हैं, जिन्होंने अपनी संस्कृति को जीवित रखा. हमारे पूर्वजों ने कहा कि हमारी संस्कृति अनन्त है, कभी मरेगी नहीं.
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यह पूछे जाने पर कि क्या अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण समाज को आगे विभाजित करेगा, क्योंकि एक मस्जिद उसी स्थान पर खड़ी थी? इस पर अमीश त्रिपाठी ने कहा कि हमें अतीत को स्वीकार करने की जरूरत है तभी हम इसके साथ शांति बना सकते हैं.
5 अगस्त को होना है भूमि पूजन
बता दें कि राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन 5 अगस्त को होना है, लेकिन 3 अगस्त से ही अयोध्या में उत्सव शुरू हो जाएगा. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 200 लोग शिरकत करने वाले हैं. कोरोना के कारण भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए अधिक लोगों को न्योता नहीं जा रहा है. सिर्फ चुनिंदा लोगों को ही शिलान्यास कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है.
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