असम सरकार का ऐलान, सरकारी स्कूलों से हटेगा अरबी शब्द 'मकतब'

हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा, टीचर अब बच्चों को मकतब की शिक्षा नहीं दे पाते. अब यह सामान्य लोअर प्राइमरी स्कूल में तब्दील होकर रह गया है. इसलिए हमने स्कूलों के प्रबंधन को सुझाव दिया है कि वे नाम से मकतब शब्द हटा दें. सरकार ने इस बाबत एक आदेश भी जारी किया है.

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असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा ने किया ऐलान (फाइल फोटो-ANI) असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा ने किया ऐलान (फाइल फोटो-ANI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 1:26 PM IST

  • अरबी भाषा में मकतब माने स्कूल होता है
  • टीचर बच्चों को नहीं दे पाते मकतब की शिक्षा

असम सरकार ने स्कूलों के नाम में जुड़े अरबी शब्द मकतब को हटाने फैसला किया है. इससे पहले सरकार ने मदरसे और संस्कृत पाठशालाओं को सामान्य हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में बदलने का निर्णय लिया था.

असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा ने शनिवार को कहा, असम सरकार ने सरकारी स्कूलों के नाम में अरबी शब्द मकतब को हटाने का निर्णय लिया है. अरबी भाषा में मकतब माने स्कूल होता है. एक आंकड़े के मुताबिक, असम में 63 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनके नाम में मकतब शब्द जुड़ा है.

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हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा, स्कूलों के नाम में मकतब के अलावा जो भी शब्द हैं, वे पहले की तरह बने रहेंगे. स्कूलों के नाम से केवल 'मकतब' शब्द को हटाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे उन छात्रों को समस्याएं पैदा होती हैं, जो प्राथमिक स्कूलों में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च विद्यालयों में प्रवेश चाहते हैं. शर्मा ने कहा, सैयद मोहम्मद सादुल्ला जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने मकतब की तालीम के लिए कुछ प्राइमरी स्कूलों को मंजूरी दी थी.

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इन स्कूलों के बारे में हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा, टीचर अब बच्चों को मकतब की शिक्षा नहीं दे पाते. अब यह सामान्य लोअर प्राइमरी स्कूल में तब्दील होकर रह गया है. इसलिए हमने स्कूलों के प्रबंधन को सुझाव दिया है कि वे नाम से मकतब शब्द हटा दें. सरकार ने इस बाबत एक आदेश भी जारी किया है और मुझे उम्मीद है कि अगले एक हफ्ते के अंदर मकतब शब्द नाम से हटा दिया जाएगा. शर्मा ने कहा, सरकार चूंकि धर्म निरपेक्ष संस्था है, इसलिए किसी मजहबी तालीम के लिए फंडिंग नहीं की जा सकती.  

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असम सरकार कुछ मदरसे और संस्कृत पाठशालाएं संचालित करती है. फिलहाल 1200 मदरसे और 200 संस्कृत पाठशालाएं चल रहे हैं. सामान्य पाठ्यक्रम के साथ ही धार्मिक शिक्षा-दीक्षा भी दी जाती है. असम सरकार में ऐसी संस्था चलाने का कोई अलग से प्रावधान नहीं है और इसके लिए कोई बोर्ड भी नहीं है. इस वजह से कई परेशानियां सामने आती हैं.

हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा, मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को भी मैट्रिक (क्लास 10) और हायर सेकेंडरी (क्लास 12) के सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं. कोई अलग से बोर्ड न होने की वजह से कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. असम के शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि सरकार को सामान्य मदरसों से कोई एतराज नहीं है जो अलग-अलग संगठनों और या एनजीओ की ओर से चलाए जा रहे हैं.  

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इन मदरसों के बारे में हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा, इस तरह के मदरसे (संगठनों या एनजीओ द्वारा संचालित) चलते रहेंगे लेकिन एक निर्धारित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत ही इसकी इजाजत होगी. इसके लिए अलग से कानून लाया जा रहा है जिसके तहत उन्हें काम करना होगा.

मदरसों को अपने छात्रों की संख्या के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी. साथ ही धार्मिक शिक्षा के अलावा सामान्य पाठ्यक्रम पढ़ाया जाना भी अनिवार्य होगा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि असम सरकार अपनी 'असम दर्शन' योजना के तहत धार्मिक स्थलों पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 710 करोड़ रुपये खर्च करेगी. शर्मा ने कहा कि 915 धार्मिक संस्थानों या आध्यात्मिक पर्यटन के स्थानों को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे, जिसमें 459 मंदिर, 186 'सत्र' (वैष्णव मठ), 123 नामघर (प्रार्थना और सामुदायिक हॉल), 47 मस्जिद और 27 चर्च शामिल हैं.

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