पिछली मोदी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार को लेकर जांच एजेंसियों को भारी संख्या में शिकायतें मिलीं. केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) तक पांच साल में एक लाख 95 हजार से अधिक शिकायतें पहुंचीं. सीबीआई के पास भी 2,157 शिकायतें मिलीं. हालांकि सरकार की ओर से अधिकांश शिकायतों पर कार्रवाई भी हुई. जिसके कारण सरकार के पास ज्यादा मामले लंबित नहीं रहे.
दरअसल झारखंड के चतरा सीट से बीजेपी सांसद सुनील कुमार सिंह ने तीन जुलाई को पूछा था कि पिछले पांच वर्षों में भ्रष्टाचार की कितनी शिकायतें पहुंचीं और एक्शन की क्या रिपोर्ट रही. लोकसभा में इसका जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतें लगातार सरकार को मिल रहीं हैं.
उन्होंने कहा कि शिकायतों का ब्यौरा विभाग वार या पदवार केंद्रीय रूप से नहीं रखा जाता. फिर भी केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और सीबीआई की सूचनाओं के अनुसार सरकार के पास आंकड़े हैं. मंत्री ने बताया कि शिकायतों के महत्व के हिसाब से उन्हें दर्ज करने के लिए कई पंजीकरण के प्लेटफॉर्म हैं. ऐसी शिकायतें लिखित रूप, डाक से या फिर पोर्टल के जरिए ऑनलाइन दर्ज होती हैं.
उन्होंने बताया कि शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए मंत्रालय ने केंद्रीयकृत सार्वजनिक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली pgportal.gov.in विकसित किया है. इसके अलावा केंद्रीय सतर्कता आयोग अपने पोर्टल portal.cvc.gov.in और टोल फ्री नंबर पर भी 1800110180 शिकायतें दर्ज करता है. सरकार ने बताया कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए दागी अफसरों को नियम 56 के तहत समयपूर्व सेवानिवृत्ति दी जा रही है.
इसके अलावा चार न्यायिक सदस्यों सहित अध्यक्ष और 8 अन्य सदस्यों की नियुक्ति के साथ लोकपाल नामक संस्था भी गतिशील हुई है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियिम, 1988 के तहत लोक सेवकों के खिलाफ अपराधों के संबंध में लोकपाल को शिकायतों को सीधे प्राप्त करने और उन पर एक्शन की व्यवस्था है.
भ्रष्टाचार की शिकायतों की भरमार
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को 2014 में 62362 शिकायतें मिलीं. इसी तरह 2015 में 29838, 2016 में 49847, 2017 में 23609 और 2018 में 29979 शिकायतें दर्ज हुईं. शिकायतों के निपटारे की बात करें तो 2014 में 62099, 2015 में 30789, 2016 में 48764, 2017 में 22386 और 2018 में 30575 शिकायतों का निपटारा हुआ. इसी तरह सीबीआई में भी कई शिकायतें पहुंचीं. 2014 में 547, 2015 में 489, 2016 में 417, 2017 में 388 और 2018 में 316 शिकायतें दर्ज हुईं. निपटारे की बात करें तो 2014 से क्रमशः 544, 488, 404, 353 और 250 शिकायतों का निपटारा हुआ.
नवनीत मिश्रा