देश की सरकार कैशलेस की बात कर रही है लेकिन डिजिटल इंडिया की हैरतअंगेज तस्वीरें जोधपुर से आई हैं जहां लोग अपना राशन लेने के लिए जान जोखिम में डालकर बांस की सीढ़ियों पर चढ़कर पोश मशीन में अंगूठा लगाने जाते हैं क्योंकि छत पर चढ़ने पर हीं इंटरनेट का नेटवर्क मिलता है. दरअसल रुरल इंडिया में हजारों ऐसे गांव हैं जहां डिजिटल इंडिया की बात करना भी बेमानी है. जहां मोबाइल नेटवर्क ही नहीं आता. ऐसे में लोगों को घरों की छत पर चढ़कर अपने राशन की खातिर मोबाइल नेटवर्क का इंतजार करना पड़ता है.
यह तस्वीर राजस्थान के जोधपुर से 80 किमी दूर अमृतनगर की है. मकान राशन की दुकान है और कतार में खड़े लोग बांस की सीढ़ी चढ़कर छत पर जाने के इंतजार में हैं. ताकि वहां रखे पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन पर अंगूठा लगा सकें. तभी तो राशन मिलेगा. बांस की सीढ़ियों पर चढ़नेवालों में महिला और पुरुष दोनों है. डर इसबात का है कि इनकी उम्र भी ज्यादा है. दरअसल यहां पीओएस मशीन को नीचे घर में नेटवर्क नहीं मिलता और यही वजह है कि लोगों को नेटवर्क के लिए छत पर जाना पड़ता है. जोधपुर के अमर नगर गांव के ग्रामीण अमर सिंह का कहना है इसी तरह से सीढ़ी पर जाना पड़ता है, अब तो उम्र भी हो गई है लेकिन डर लगता है कि कहीं गिर नही जाएं.
ये गांव अकेला नहीं है जहां मोबाइल नेटवर्क की समस्या है बल्कि दर्जनों ऐसे गांव है जहां कैशलेस किसी कलेश से कम नहीं है. यहां के लोगों को छत पर भी नेटवर्क तभी मिलता है जब केबल को बांस से बांधकर ऊंचा रखा जाता है. कैश देने वाली मशीनों का भी गांवों में यही हाल है. गांव की महिला मदनी कहती है कि राशन लेना है तो चढना हीं पड़ता है क्या करें मजबूरी हीं ऐसी है.
सरकार डिजिटल इंडिया की बात कर रही है लेकिन यहां राशन के लिए आसमान की ऊंचाई मापनी पङ रही है. कतार में लगने वाली महिलाओं की उम्र जवाब दे जाती है और कइयों को बिना राशन ही लौटना पड़ता है और जो सीढियां चढ़ जाती है वो गिर जाने के डर से कांपती हुई अंगूठा लगाकर लौटती है. मशीन ऑपरेटर प्रयाग सिंह का कहना है कि नेटवर्क नहीं आने पर मशीन को छत पर ले जाते हैं. वहां पर उंचाई की वजह से नेटवर्क आता है तो ऊपर ले जाकर हीं मशीन में अंगूठा लगवाते हैं.
शरत कुमार