पंजाब में कानून व्यवस्था को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है. अकेले नवंबर में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं कि विपक्ष से लेकर गृह मंत्रलाय तक चिंता में आ गया है. चिंता इसलिए ज्यादा है कि क्योंकि ये टारगेट किलिंग की ओर इशारा कर रही है. विपक्ष जोर देकर कह रहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ती जा रही है और ये राज्यपाल शासन की ओर अग्रसर है.
नवंबर में कितनी आपराधिक घटनाएं?
आंकड़ों में बात करें तो नवंबर 12 को मोहाली में महंत संत शीतल दास की हत्या कर दी गई. उसी दिन जालंधर में माता की चौकी कार्यक्रम में जमकर उत्पाद मचाया गया. नवंबर 10 को डेरा सच्चा सौदा के समर्थक प्रदीप सिंह को खालिस्तानियों ने मौत के घाट उतार दिया था. इसी तरह नवंबर 4 को हिंदू नेता सुधीर सूरी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. वारिस पंजाब दे के संदीप सिंह ने इस हत्या को अंजाम दिया था.
इन घटनाओं के बाद ही गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को एक चिट्ठी लिखी थी. उस चिट्ठी के जरिए कई मुद्दों पर सफाई मांगी गई. जेल में सक्रिय अपराधी, अवैध हत्यारों का इस्तेमाल जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा गया. गृह मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि वारिस पंजाब दे जैसे संगठनों की गतिविधियों पर राज्य सरकार पैनी नजर रखे. खालिस्तानी संगठनों पर भी नकेल कसने की बात कही गई है.
विपक्ष उठा रहा मान सरकार पर सवाल
अब केंद्र सरकार एक तरफ आप सरकार से सवाल पूछ रही तो विपक्षी भी तीखे हमले कर रहा है. अकाली नेता प्रेम सिंह चंदूमरजा कहते हैं कि पिछले सात महीनों में शायद ही ऐसा कोई दिन रहा हो जब पंजाब में कोई हत्या ना हुई हो. वसूली, हत्याएं सब आम बात हो गई हैं. आप के कई विधायक अवैध खनन में शामिल चल रहे हैं.
मनजीत सहगल