पंजाब: RSS से जुड़े 16 साल पुराने विवाद को क्यों हवा दे रहे हैं सिख धार्मिक नेता?

इकबाल सिंह ने एक 16 साल पुराने हुक्मनामा को उजागर करते हुए आरोप लगाया कि साल 2004 में अकाल तख्त में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मुखालफत को लेकर जो बयान जारी किया था वह पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के इशारे पर जारी हुआ था.

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16 साल पुराने बयान पर तकरार 16 साल पुराने बयान पर तकरार

मनजीत सहगल

  • चंडीगढ़,
  • 11 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 1:11 AM IST

  • भूमि पूजन से शुरू हुआ विवाद
  • भड़के कट्टरवादी सिख संगठन

पटना तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह ने राम मंदिर निर्माण भूमि पूजन में शामिल होकर हिंदू-सिख भाईचारे का संदेश तो दिया है. लेकिन इसी वजह से वह कई सिख नेताओं के निशाने पर भी आ गए हैं. कट्टरवादी खालिस्तानी संगठन सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ जमकर जहर उगल रहे हैं. ज्ञानी इकबाल सिंह की आलोचना उनके दो बयानों की वजह से भी हो रही है. ज्ञानी इकबाल सिंह ने राम मंदिर भूमि पूजन समारोह के दौरान कहा था कि सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह लव-कुश के वंशज हैं, जिसको लेकर कट्टरवादी सिख संगठन भड़क गए हैं.

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वहीं इकबाल सिंह ने अपने दूसरे बयान में अकाल तख्त के एक 16 साल पुराने हुक्मनामा को उजागर करते हुए आरोप लगाया कि साल 2004 में अकाल तख्त में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मुखालफत को लेकर जो बयान जारी किया था वह दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के इशारे पर जारी हुआ था.

हालांकि राम मंदिर भूमि पूजन समारोह का निमंत्रण अकाल तख्त के कार्यकारी अध्यक्ष ज्ञानी हरप्रीत सिंह को भी मिला था. लेकिन वह कट्टरवादियों के दबाव के चलते कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पिछले साल आरएसएस को देश विरोधी करार देकर बीजेपी नेताओं की नाराजगी मोल ले ली थी. अकाल तख्त ने कहा था कि आरएसएस राष्ट्रीय सिख संगत की आड़ में सिख धर्म को प्रभावित करना चाहता है और हिंदुत्व फैला कर सिखों को भ्रमित कर रहा है.

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ज्ञानी हरप्रीत सिंह को आ रहे भड़काऊ कॉल

हालांकि अकाल तख्त प्रमुख, राम मंदिर भूमि पूजन में शामिल नहीं हुए थे. इसके बावजूद पकिस्तान और कई अन्य देशों से उन्हें भड़काऊ कॉल्स आ रही हैं. इन कॉल्स के पीछे पकिस्तान की आईएसआई और खालिस्तान संगठन का हाथ बताया जा रहा है. बताया गया है कि सिख्स फॉर जस्टिस संगठन आये दिन भड़काऊ कॉल्स कर रहे हैं. सिखों और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की जा रही है.

विवादित बयानों से किनारा कर रहा है अकाली दल

अकाली दल के सीनियर नेता डॉ दलजीत सिंह चीमा ने इसे अकाल तख्त का स्वतंत्र फैसला करार दिया है. उन्होंने इकबाल सिंह से सवाल करते हुए कहा कि अगर उन पर सचमुच दबाव था तो उन्होंने उस हुक्मनामे पर हस्ताक्षर क्यों किए थे? उधर पंजाब के बीजेपी नेता, ज्ञानी हरप्रीत सिंह के विवादित बयानों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. हालांकि वरिष्ठ बीजेपी नेता विनीत जोशी ने प्रकाश सिंह बादल पर दिए गए बयान को लेकर सिर्फ इकबाल सिंह से ही नाराजगी जताई है.

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आरएसएस के खिलाफ हो रही बयानबाजी से बीजेपी नेता आहत हैं. वे ज्ञानी हरप्रीत सिंह और ज्ञानी इकबाल सिंह के बयानों पर नाराजगी जता चुके हैं, वहीं अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं.

अकाली दल और बीजेपी नेताओं की नजर दो साल बाद होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों पर है. दोनों दल अब तक गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ते आए हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में अकाली दल के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद अब कई बीजेपी नेता अकेले चुनाव लड़ने का राग अलाप रहे हैं.

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