जातिगत जनगणना रिपोर्ट पर बात बिहार से आगे बढ़ी, इन 5 राज्यों में भी सुगबुगाहट!

बिहार में जातिगत सर्वे के नतीजे आने के बाद इसे लेकर पूरे देश में बहस छिड़ गई है. तमाम राज्यों में जातिगत जनगणना कराने की मांग की जा रही है. उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र में भी जातिगत सर्वे की मांग तेज हो गई है. वहीं, कर्नाटक में 2015 में हुई जातिगत जनगणना के नतीजों को सार्वजनिक करने की मांग उठने लगी है.

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देशभर के तमाम राज्यों में जातिगत जनगणना की मांग तेज देशभर के तमाम राज्यों में जातिगत जनगणना की मांग तेज

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST

जातीय जनगणना रिपोर्ट के बाद केवल बिहार ही नहीं इन 5 राज्यों में सियासी सुगबुगाहट शुरू हो गई, जानिए कहां क्या हो रही डिमांड और किस दल का क्या है स्टैंड (UP, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक)

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा, बिहार जाति आधारित जनगणना प्रकाशित, ये है सामाजिक न्याय का गणतीय आधार. जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी उन्होंने कहा, जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं. भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए. अखिलेश के अलावा कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने भी सीएम योगी को पत्र लिखकर जातिगत जनगणना कराने की मांग की है. 

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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा, बिहार जाति आधारित जनगणना प्रकाशित, ये है सामाजिक न्याय का गणतीय आधार. जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी उन्होंने कहा, जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं. भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए.  

पीडीए फॉर्मूले के भरोसे अखिलेश यादव

सपा के साथ उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) और अपना दल (के) ने भी यूपी में जातिगत जनगणना की मांग की है. रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा, विभिन्न सरकारी योजनाओं में विभिन्न जातियों की सही हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए यूपी में भी जाति जनगणना जरूरी है. हम यूपी सरकार से तुरंत जाति जनगणना का आदेश देने की मांग करते हैं. 

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यूपी मंडल आयोग की सिफारिशों और राम जन्मभूमि आंदोलन के बीच की लड़ाई की मुख्य भूमि रहा है. जिसे मंडल बनाम कमंडल नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बार-बार अपनी पार्टी के पीडीए फॉर्मूले (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक, यानी पिछड़े, दलित और मुस्लिम) के जरिए यूपी में बीजेपी की पकड़ को कमजोर करना चाहते हैं.  

मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी उठी मांग

उधर, मध्य प्रदेश में दशकों से जाति जनगणना की मांग उठती रही है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि जब उनकी सरकार राज्य में सत्ता में आएगी, तो वे जातिगत जनगणना कराएंगे. 

चुनावी राज्य राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जाति सर्वेक्षण का समर्थन करते हुए कहा है कि वह नौकरियों और शिक्षा प्रवेशों में उनकी आबादी के अनुसार ओबीसी को उच्च प्रतिनिधित्व देने का समर्थन करते हैं. 

AAP की मांग- अन्य राज्यों में भी हो जातिगत जनगणना

आप सांसद संजय सिंह ने कहा, ''उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हरियाणा और बाकी क्षेत्रों में जातिगत जनगणना होना ही चाहिए. जाति जनगणना एक बड़ा मुद्दा है. जब तक आपको पता नहीं चलेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है तो सरकार की तमाम स्कीम, आरक्षण की व्यवस्था में सभी जातियों के साथ न्याय करना संभव नहीं है.''

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महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी उठी मांग

महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी जातिगत जनगणना की मांग तेज हुई है. महाराष्ट्र में कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सोमवार को बिहार की तरह जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की. उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे सरकार इस तरह की कवायद से बच रही है. 

हालांकि, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार बिहार सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वे की जानकारी प्राप्त करेगी और सीएम एकनाथ शिंदे सही समय पर इस पर फैसला लेंगे. 

कर्नाटक में कांग्रेस एमएलसी ने जाति जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग की है. 2015 में सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल के दौरान कर्नाटक में जातिगत जनगणना हुई थी. 2015 की जाति जनगणना, जिसे आधिकारिक तौर पर सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के रूप में जाना जाता है. इसे कराने के लिए 160 करोड़ रुपये का खर्च किए गए थे. तब 45 दिनों में 160,000 लोगों ने 1.35 लाख घरों को कवर किया था.

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