महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा दिल्ली हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. जब से चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनावी चिन्ह को फ्रीज करने का फैसला सुनाया है, दोनों उद्धव और शिंदे कैंप फिर सक्रिय हो गए हैं. सबसे पहले उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया, अब सीएम एकनाथ शिंदे ने भी कहा है कि उनका पक्ष जाने बिना कोई फैसला नहीं सुनाया जाना चाहिए.
जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए स्पष्ट कर दिया था कि शिवसेना के नाम और सिंबल के इस्तेमाल पर अगले आदेश तक रोक रहने वाली है. यानी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट में कोई भी फिलहाल इस चिन्ह का उपयोग नहीं कर सकेगा. लेकिन इस फैसले से उद्धव कैंप खासा नाराज हुआ और उसने तुरंत ही दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया. अब उद्धव की याचिका के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने भी एक केविएट दायर कर दी है.
उनकी दलील ये है कि कोर्ट कोई भी फैसला उनके पक्ष को सुने बगैर ना सुनाए. इस मामले में उनकी दलीलें जानना जरूरी है. वैसे इस पूरे मामले पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि मुझे इस फैसले से बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है. यह साबित करने के लिए मेरे पास सबूत तो नहीं हैं कि यह जानबूझकर किया जा रहा है, लेकिन मुझे पहले से ही इसकी आशंका थी.
पवार ने आगे कहा, 'हम नहीं जाते कि इन दिनों फैसले कौन ले रहा है? कोई पार्टी कितनी भी मजबूत क्यों न हो, हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि (शिवसेना) अपने ही चुनाव चिन्ह के साथ लड़ पाएगी. इसलिए हमें किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए हर हाल में तैयार रहना होगा. शिवसेना को नए सिंबल के साथ चुनाव में उतरना होगा. इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
नलिनी शर्मा