कम ही लोग जानते हैं कि तीन दिन पहले का दिन यानी 3 मार्च किस रूप में मनाया जाता है. यह दिन इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स राइट डे के रूप में मार्क किया गया है. दिलचस्प बात ये है कि इसकी शुरुआत भारत से ही हुई थी. आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें...
आपने सेक्स वर्कर्स को अपनी मांगों के लिए सड़कों पर उतरते कम ही देखा होगा. लेकिन एक वक्त में करीब 25 हजार सेक्स वर्कर्स भारत में सड़कों पर उतर गईं थीं.
बात तीन मार्च 2001 की है. सरकार से परेड के लिए अनुमति नहीं मिलने और कई दबाव के बावजूद सेक्स वर्कर्स भारत की सड़कों पर आ गईं थीं.
इसी के बाद इस दिन को इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स राइट डे के रूप में मार्क किया गया. परेड का आयोजन दरबार महिला समन्वय कमेटी की ओर से किया गया था. इस कमेटी के साथ करीब 50 हजार सेक्स वर्कर्स जुड़ी हैं.
हालांकि, 'इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे' 2 जून को मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2 जून 1975 को हुई थी.
2 जून 1975 को फ्रांस में सेक्स वर्कर्स चर्च में मिलीं थीं और अपनी स्थिति को लेकर गुस्से का इजहार की थी.
हालांकि, तीन मार्च 2001 की तरह कई अन्य मौकों पर भी सेक्स वर्कर्स अपनी मांगों के लिए सड़कों पर उतरी हैं.
16 जुलाई 2013 को भी कोलकाता के सोनागाछी इलाके में रहने वालीं सेक्स वर्कर्स सड़कों पर आईं थीं.
कोलकाता में इस दौरान महिलाएं सामाजिक अधिकार, सम्मान और सामाजिक सुरक्षा की मांग कर रहीं थीं.
सेक्स वर्कर्स की रैली का एक मकसद लोगों को जागरुक करना भी था.