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तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयलललिता का राजनीतिक सफर, देखें तस्वीरों में...

aajtak.in
  • 19 मई 2016,
  • अपडेटेड 9:03 PM IST
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 जयललिता ने 1982 में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की सदस्यता ग्रहण करते हुए एमजी रामचंद्रन के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की.

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वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद राज्य में हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई. वे 24 जून 1991 से 12 मई तक राज्य की पहली निर्वाचित और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं.

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साल 1987 में रामचंद्रन के निधन के बाद उन्होंने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.

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1992 में उनकी सरकार ने लड़कियों की रक्षा के लिए 'क्रैडल बेबी स्कीम' शुरू की, ताकि अनाथ और बेसहारा बच्चियों को खुशहाल जीवन मिल सके. इसी साल राज्य में ऐसे पुलिस थाने खोले गए, जहां सिर्फ महिलाएं ही तैनात होती थीं.

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अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं.

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1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई और वे खुद भी चुनाव हार गईं. इस हार के बाद सरकार विरोधी जनभावना और उनके मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुये. पहली बार मुख्यमंत्री रहते हुए उनपर कई गंभीर आरोप लगे.

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राजनीति में उनके समर्थक उन्हें अम्मा (मां) और कभी-कभी पुरातची तलाईवी ('क्रांतिकारी नेता') कहकर बुलाते हैं.

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जयललिता को पहली बार मद्रास विश्वविद्यालय से 1991 में डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली और उसके बाद उन्हें कई बार मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया जा चुका है. 1997 में उनके जीवन पर बनी एक तमिल फिल्म 'इरूवर' आई थी जिसमें जयललिता की भूमिका ऐश्वर्या राय ने निभाई थी.

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साल 2014 में जयललिता आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी पाई गईं और 21 दिन तक बंगलुरु के जेल में बंद रहीं. हालांकि बाद में उन्हें सशर्त जमानत मिल गई.

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