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भारत

बेहतरीन अभिनेता 'प्राण' के बेमिसाल डायलॉग

aajtak.in
  • 12 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST
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अपनी बेहतरीन अदाकारी से हिंदी सिनेमा पर जबरदस्त छाप छोड़ने वाले प्राण ने अपनी फिल्मों में एक से एक डायलॉग बोले. फिल्म 'उपकार' का उनका  डायलॉग - 'भारत तू दुनिया की छोड़ पहले अपनी सोच. राम ने हर युग में जन्म लिया है लेकिन लक्षमण जैसा भाई दोबारा पैदा नहीं हुआ.'

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फिल्म 'उपकार' का उनका ये डॉयलॉग भी काफी चला - 'राशन पर भाषण बहुत है, भाषण पर कोई राशन नहीं. सिर्फ ये जब भी बोलता हूं ज्यादा ही बोलता हूं, समझे...!'

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फिल्म 'उपकार' का ये डायलॉग भी काफी मशहूर हुआ - 'लाशें जो खरीदा करते हैं, वो कौन बड़ा व्यापारी है... आसमान पे उड़नेवाले मिट्टी में मिल जाएगा.'

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फिल्म 'शीश महल' में उनका एक डायलॉग काफी पंसद किया गया. वो था 'मैं भी पुरानी चिड़ीमार हूं पर कतरना अच्छी तरह से जानता हूं'.

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फिल्म 'शहीद' का उनका प्रसिद्ध डायलॉग है - 'ओय भगतसिंह, ये भारत माता की होंदी है..... मैंने इतने खून कित्ते भगतसिंह...'.

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फिल्म 'कश्मीर की कली' में 'शताले-शताले मेरा भी समय आएगा...'

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फिल्म 'जिस देश में गंगा रहता है' में 'सरदार मैं फिर कहता हूं ये पुलिस का आदमी है.'

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फिल्म 'जिस देश में गंगा रहता है' में उनका डायलॉग था - 'तेरा बाप राका'

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फिल्म 'धर्मा' में-  'कालाय तस्मे नम:'

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फिल्म 'अराउंड दि वर्ल्ड' में - 'टोक्यो में रहते हो पर टोकने की आदत नहीं गई.'

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