अपनी बेहतरीन अदाकारी से हिंदी सिनेमा पर जबरदस्त छाप छोड़ने वाले प्राण ने अपनी फिल्मों में एक से एक डायलॉग बोले. फिल्म 'उपकार' का उनका डायलॉग - 'भारत तू दुनिया की छोड़ पहले अपनी सोच. राम ने हर युग में जन्म लिया है लेकिन लक्षमण जैसा भाई दोबारा पैदा नहीं हुआ.'
फिल्म 'उपकार' का उनका ये डॉयलॉग भी काफी चला - 'राशन पर भाषण बहुत है, भाषण पर कोई राशन नहीं. सिर्फ ये जब भी बोलता हूं ज्यादा ही बोलता हूं, समझे...!'
फिल्म 'उपकार' का ये डायलॉग भी काफी मशहूर हुआ - 'लाशें जो खरीदा करते हैं, वो कौन बड़ा व्यापारी है... आसमान पे उड़नेवाले मिट्टी में मिल जाएगा.'
फिल्म 'शीश महल' में उनका एक डायलॉग काफी पंसद किया गया. वो था 'मैं भी पुरानी चिड़ीमार हूं पर कतरना अच्छी तरह से जानता हूं'.
फिल्म 'शहीद' का उनका प्रसिद्ध डायलॉग है - 'ओय भगतसिंह, ये भारत माता की होंदी है..... मैंने इतने खून कित्ते भगतसिंह...'.
फिल्म 'कश्मीर की कली' में 'शताले-शताले मेरा भी समय आएगा...'
फिल्म 'जिस देश में गंगा रहता है' में 'सरदार मैं फिर कहता हूं ये पुलिस का आदमी है.'
फिल्म 'जिस देश में गंगा रहता है' में उनका डायलॉग था - 'तेरा बाप राका'
फिल्म 'धर्मा' में- 'कालाय तस्मे नम:'
फिल्म 'अराउंड दि वर्ल्ड' में - 'टोक्यो में रहते हो पर टोकने की आदत नहीं गई.'