भारत के राष्ट्रीय ध्वज को 'तिरंगा' भी कहा जाता है क्योंकि यह तीन रंगों केसरिया, सफेद और हरे रंग से बनकर बना है. बता दें कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज है यह पहला नहीं है, इससे पहले भी भारत के कई ध्वज रह चुके हैं. जानें- कैसे तिरंगा बना हमारा राष्ट्रीय ध्वज.
भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था, इसे अब कोलकाता कहते हैं. इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज (Horizontal) पट्टियों से बनाया गया था.
दूसरे ध्वज को साल 1907 में पेरिस में मैडम कामा और उनके साथ निकाले किए गए कुछ क्रांतिकारियों ने फहराया गया था. यह भी पहले ध्वज की तरह ही था. इसमें सबसे ऊपर बनी पट्टी पर सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते थे जबकि एक कमल था.
तीसरा ध्वज साल 1917 में डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया. इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के स्वरूप में इस पर बने सात सितारे थे. बाईं ओर ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक था और दाईं तरफ ऊपरी किनारे पर सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.
चौथा ध्वज अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सत्र के दौरान 1921 में बेजवाड़ा में फहराया गया था. यह दो रंगों लाल और हरे से बना था जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समदायों को दर्शाता था. गांधी जी ने यह सुझाव दिया था कि भारत के बाकी का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए.
पांचवा ध्वज साल 1931 में फहराया गया. यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का संग्राम चिन्ह भी था.
इसके बाद तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था. तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था.
इसके बीचों बीच अशोक चक्र भी बना है जिसमें 24 तिल्लियां होती हैं. तिरंगे को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने भारत के स्वतंत्र होने से कुछ समय पहले ही अपना लिया था.