दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से खफा 2 किसान संगठनों ने किसान आंदोलन से अलग होने का ऐलान कर दिया है. सबसे पहले राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने किसान आंदोलन से हटने की घोषणा की. संगठन के नेता वीएम सिंह रिश्ते में मेनका गांधी के भाई लगते हैं और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे कई किसान संगठनों के साथ वीएम सिंह (विरिंदर मोहन सिंह) का राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन भी आंदोलन में शामिल था. लेकिन गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई हिंसा के बाद संगठन ने आंदोलन से हटने का फैसला लिया.
वीएम सिंह देश के अमीर किसानों में गिने जाते हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दाखिल हलफनामे में 632 करोड़ की संपत्ति होने की बात कही थी. बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी ट्वीट कर वीएम सिंह के कांग्रेस नेता और उसके टिकट पर 2 बार लोकसभा चुनाव लड़ने का दावा किया था.
8 आपराधिक केस दर्ज
पीलीभीत से विधायक रहे वीएम सिंह भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के रिश्ते में भाई (ममेरे) लगते हैं. हालांकि कांग्रेस के टिकट पर 2004 में अपनी बहन मेनका और 2009 भांजे वरुण गांधी के खिलाफ पीलीभीत से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. दोनों ही बार वीएम सिंह को शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
माई नेता इंफो के मुताबिक वीएम सिंह पर 8 आपराधिक केस दर्ज हैं, जिसमें एक मामला एससी/एसटी एक्ट के तहत भी दर्ज है.
'हम यहां लोगों को पिटवाने नहीं आए'
किसान नेता वीएम सिंह ने आज बुधवार को आंदोलन से अलग होने का ऐलान करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पर भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि इस रूप से आंदोलन नहीं चलेगा. हम यहां पर शहीद कराने या लोगों को पिटवाने नहीं आए हैं.
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वीएम सिंह ने भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत पर हमला करते हुए कहा कि टिकैत सरकार के साथ मीटिंग में गए. वहां उन्होंने यूपी के गन्ना किसानों की बात, धान की बात एक बार भी की क्या? हम यहां से समर्थन देते रहें और वहां पर कोई नेता बनता रहे, ये सही काम नहीं है.
उन्होंने आरोप लगाया कि राकेश टिकैत ने तय रूट से अलग दूसरे रूट पर जाने का दबाव बनाया. वीएम सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने ट्रैक्टर रैली के दौरान तय रूटों का उल्लंघन किया, उन पर कड़ी कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि हम देश को बदनाम करने नहीं आए थे. हम तो इसलिए आए ताकि धान का पूरा रेट मिले, गन्ने का दाम मिले, एमएसपी मिले. किसान आंदोलन अब गलत रास्ते पर चला गया है. हम उन लोगों के साथ आंदोलन नहीं चला सकते, जिनकी दिशा अलग हो.
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