'मंत्री को 15 करोड़ दे दो...', जब रतन टाटा को मिली थी घूस देने की सलाह

ईमानदारी भी रतन टाटा की पहचान थी, 14 साल पहले उन्होंने एक इंटरव्यू में भ्रष्टाचार पर खुलकर बात की थी, बताया था कि कैसे उन्हें एक उद्योगपति ने फ्लाइट के दौरान मंत्री को 15 करोड़ रुपये देने का सुझाव दिया था.

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रतन टाटा (फाइल फोटो- पीटीआई) रतन टाटा (फाइल फोटो- पीटीआई)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:52 PM IST

देश के दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा से जुड़े ऐसे हजारों किस्से हैं, जो हर किसी को विनम्र बनने की नसीहत देते हैं. याद दिलाते हैं कि दरियादिली इंसानों की तरह जानवरों से भी दिखाई जाए. गिरीश कुबेर की टाटा समूह पर चर्चित किताब 'द टाटाज़ हाउ अ फ़ैमिली बिल्ट अ बिज़नेज़ एंड अ नेशन' में वो लिखते हैं कि जब वो टाटा संस के प्रमुख बने, तो वो जेआरडी के कमरे में नहीं बैठे. उन्होंने अपने बैठने के लिए एक साधारण सा छोटा कमरा बनवाया. जब वो किसी जूनियर अफ़सर से बात कर रहे होते थे और उस दौरान कोई वरिष्ठ अधिकारी आ जाए, तो वो उसे इंतज़ार करने के लिए कहते थे. उनके पास दो जर्मन शैफ़र्ड डॉग होते थे 'टीटो' और 'टैंगो'. जिन्हें वो बेइंतहा प्यार करते थे.

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रतन टाटा का डॉग्स से प्यार इस हद तक था कि जब भी वो अपने दफ़्तर बॉम्बे हाउस पहुंचते थे, सड़क के आवारा कुत्ते उन्हें घेर लेते थे और उनके साथ लिफ़्ट तक जाते थे. इन डॉग्स को अक्सर बॉम्बे हाउस की लॉबी में टहलते देखा जाता था, जबकि मनुष्यों को वहां प्रवेश की अनुमति तभी दी जाती थी, जब वो स्टाफ़ के सदस्य हों या उनके पास मिलने की पूर्व अनुमति हो. 

14 साल पुराने इंटरव्यू का जिक्र

ईमानदारी भी रतन टाटा की पहचान थी, 14 साल पहले उन्होंने एक इंटरव्यू में भ्रष्टाचार पर खुलकर बात की थी, बताया था कि कैसे उन्हें एक उद्योगपति ने फ्लाइट के दौरान मंत्री को 15 करोड़ रुपये देने का सुझाव दिया था. तब इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने बताया था कि एक साथी उद्योगपति थे, जो फ्लाइट में मेरे साथ बगल की सीट पर थे. उन्होंने मुझसे कहा था कि आप मंत्री को पैसा क्यों नहीं देते हैं? आप जानते हैं कि उसे 15 करोड़ रुपये चाहिए. लेकिन किसी ने भी कभी मुझसे कोई रकम नहीं मांगी थी. उन्होंने आगे बताया, उस व्यक्ति ने कहा कि आप जानते हैं कि आप लोगों को एयरलाइन चाहिए. तो दे दीजिए. आपको इससे क्या फर्क पड़ता है? मैंने उस व्यक्ति को कहा कि आप नहीं समझेंगे. हम ऐसा नहीं करते हैं. मैं रात को बिस्तर पर ये महसूस करते हुए जाना चाहता हूं कि मैंने भ्रष्टाचार नहीं किया है. 

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30 से ज्यादा स्टार्टअप में किया निवेश  

रतन टाटा ऐसा ही सोच और चरित्र नौजवान कारोबारियों में ढूंढते थे, उन्हें मौका देते थे. इसीलिए उन्होंने नए युग के तकनीक-आधारित स्टार्टअप में निवेश किया. उनको भरोसा था कि ये कंपनियां देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. टाटा ने व्यक्तिगत तौर पर और अपनी निवेश कंपनी आरएनटी कैपिटल एडवाइजर्स के जरिए ओला इलेक्ट्रिक, पेटीएम, स्नैपडील, लेंसकार्ट और जिवामे समेत 30 से ज्यादा स्टार्टअप में निवेश किया. 

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