10 दिन से ज्यादा का वक्त हो गया है उत्तरकाशी के सिल्कराया में 41 मजूदरों को बचाने की जद्दोजहद हो रही है. सुरंग के स्याह अंधेरे में मिट्टी और पत्थर से बना पहाड़ हर जगह का अलग-अलग होता है. लिहाजा टनल के अंदर दाखिल होते ही गहराई के साथ साथ पत्थरो का नेचर बोलता है. ऐसे में तो जरूरी एहतियात ना होने की वजह से जान पर बन आती है. किसी चीज़ से ट्रिगर होने पर लूज नेचर के पहाड़ों के गिरने तक की नौबत आ जाती है. यही वजह है कि तय समय पर सुरंग की जांच की जानी चाहिए. नहीं तो एक बार पत्थर गिरना शुरू होने पर उसे रोक पाना बड़ा मुश्किल होता है. एक भूवैज्ञानिक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हिमालय य़ंगर एज का है मतलब इस रीजन में अक्सर एक्टिविटी होती है. लिहाजा हर तरह का प्रीकॉशन लिया जाता है. क्योंकि यहां पर हर समय कुछ ना कुछ होता है.
ऐसे में जान लेना जूरूरी है कि खदानों में लेबर और सेफ्टी कैसे रेगुलेट किया जाता है. सबसे बड़ी बात सुंरग के अंदर खाने पीने और नैचुरल क्रिया के लिए क्या नियम कानून होते हैं. माइन्स एक्ट के तहत खदानों में काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य उनकी सुरक्षा देखी जाती है. तेल का कुआं और कोल माइंस, metalliferous माइंस में काम करने वाले मजदूरों पर भी ये लागू होता है. हालांकि मौके पर मौजूद साइट इंजीनियर इसे लागू करने या ना करने का फैसला लेता है.
सुरंग में लागू होता है ये कानून
Section 19 of mines act 1952 के मुताबिक पीने का पानी किसी यूरिनल या धोने की जगह के 6 मीटर की दायरे में नहीं होना चाहिए.
Rules 30 of mines rules 1955
खदान में काम करने वाला एक व्यक्ति सिर्फ 2 लीटर पीने के पानी की मात्रा ही ले जा सकता है. कामगारों से वाटर सप्लाई के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाएगा. एक समय पर 100 या 100 से ज्यादा व्यक्ति अगर काम करते हैं, वहां इंस्पेक्टर पीने के पानी को यांत्रिक तरीके से या फिर दूसरे तरीके से ठंडा करने का ऑर्डर दे सकता है.
माइनिंग के नियमों के मुताबिक़ ऐसे मज़दूरों की नियमित स्वास्थ्य जांच के अलावा हर पांच साल पर विशेष जांच करायी जानी चाहिए लेकिन ऐसा अक्सर नहीं होता. माइंस रुल्स एंड रेगुलेशन पीने के पानी की आपूर्ति पाइपलाइन के जरिये होनी चाहिए लेकिन प्राय ऐसा नहीं होता.
सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में खदान के अंदर काम करने वाले कामगारों पर सर्वे में पाया गया कि नियमों से थे अनभिज्ञ थे, जागरूक थे लेकिन नियम नहीं समझते थे, गलती से नियम लागू कर दिया, नियमों की अनदेखी की, जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया गया, जोखिम लिया, खतरनाक स्थितियों की पहचान करने में असमर्थ थे, खराब प्रशिक्षित थे या उनके पास पर्याप्त शैक्षिक पृष्ठभूमि नहीं थी. डॉ. डेविड लॉरेंस स्कूल ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग, यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में एसोसिएट प्रोफेसर ने ये रिसर्च की और लेख साइनंस डायरेक्ट में छप भी गया. डेविड ने पिछले 25 वर्षों से ऑस्ट्रेलियाई और अंतरराष्ट्रीय खनन उद्योगों में एक खनिक, महाप्रबंधक, मुख्य खान निरीक्षक और एक अकादमिक सहित विभिन्न भूमिकाओं में काम किया है.
Journal of Safety Research का खुलासा कानून की अनदेखी को लेकर डराता है. दरअसल 33 खदानों पर सर्वे में पूरे एनएसडब्ल्यू, क्वींसलैंड और अंतरराष्ट्रीय खदान स्थलों पर लगभग 500 खदानकर्मी शामिल हैं.
राम किंकर सिंह