राज्यसभा जाएंगे उपेंद्र कुशवाहा, बिहार से NDA उम्मीदवार बनाए जाने पर किया ये पोस्ट

हालिया लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को बिहार की काराकाट सीट से हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने एनडीए की तरफ से काराकाट सीट से आरएलएम के टिकट पर चुनाव लड़ा था. लेकिन चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि उनको करारी शिकस्त मिली थी. सीपीआई माले कैंडिडेट राजाराम सिंह कुशवाहा ने उन्हें बड़े अंतर से हराया था. भोजपुरी स्टार पवन सिंह दूसरे स्थान पर जबकि कुशवाहा तीसरे स्थान पर रहे थे.

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उपेंद्र कुशवाहा  (फाइल फोटो) उपेंद्र कुशवाहा (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा (RLM) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया है. ऐसे में बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव हारने के बाद कुशवाहा राज्यसभा का रुख करेंगे.

उपेंद्र कुशवाहा ने खुद सोशल मीडिया पोस्ट कर बताया कि राज्यसभा की सदस्यता के लिए एनडीए की ओर से मेरी उम्मीदवरी की घोषणा के लिए बिहार की आम जनता एवं राष्ट्रीय लोकमोर्चा सहित एनडीए के सभी घटक दलों के कर्मठ कार्यकर्ताओं, जिन्होंने विपरीत परिस्थिति में भी मेरे प्रति अपना स्नेह बनाए रखा. भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अमित शाह, जेपी नड्डा, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, सम्राट चौधरी सहित एनडीए के अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं का ह्रदय से आभार.

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बता दें कि हालिया लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को बिहार की काराकाट सीट से हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने एनडीए की तरफ से काराकाट सीट से आरएलएम के टिकट पर चुनाव लड़ा था. लेकिन चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि उनको करारी शिकस्त मिली थी. सीपीआई माले कैंडिडेट राजाराम सिंह कुशवाहा ने उन्हें बड़े अंतर से हराया था. भोजपुरी स्टार पवन सिंह दूसरे स्थान पर जबकि कुशवाहा तीसरे स्थान पर रहे थे.

कौन हैं उपेंद्र कुशवाहा?

उपेंद्र कुशवाहा बिहार के बड़े नेता हैं. वो बिहार विधान परिषद और विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. इसके अलावा वो लोकसभा और राज्यसभा के भी सदस्य रहे हैं. वो केंद्र में मंत्री भी रहे हैं.

2 फरवरी 1960 को बिहार के वैशाली में एक मध्यम वर्गीय हिंदू क्षत्रीय परिवार में हुआ. उन्होंने पटना के साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एम.ए किया. कुशवाहा ने समता कॉलेज के राजनीति विभाग में लेक्चरर के तौर पर भी काम किया.

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उपेंद्र कुशवाहा ने 1985 में राजनीति की दुनिया में कदम रखा. 1985 से 1988 तक वे युवा लोकदल के राज्य महासचिव रहें और 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव बने रहे. 1994 में समता पार्टी का महासचिव बनने के साथ ही उन्हें राज्य की राजनीति में महत्व मिलने लगा. इस पद पर वे 2002 तक रहें.  सन 2000 से 2005 तक कुशवाहा बिहार विधान सभा के सदस्य रहें और विधान सभा के उप नेता नियुक्त किए गए. 

शुरुआत में उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता था. लेकिन बाद में दोनों के रिश्तों में खटास आने लगी. उन्होंने नीतीश का साथ छोड़कर अपनी राष्ट्रीय समता पार्टी बनाई. 2009 में राष्ट्रीय समता पार्टी का जेडीयू में विलय हो गया. उसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाई, जिसका विलय 2021 में जेडीयू में हो गया.

20 फरवरी 2023 को उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय लोक मोर्चा नाम से अपनी पार्टी बनाई. 2024 में कुशवाहा काराकाट सीट से चुनाव हार गए.

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