सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के मामले में ट्रायल पर स्टे लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने ये स्टे साल 2010 पब्लिक प्रोजेक्ट के कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में ट्रायल पर लगाई है. कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा 17 मार्च को दिए ऑर्डर के खिलाफ येदियुरप्पा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.
इस ऑर्डर में हाईकोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस द्वारा साल 2012 में दाखिल की चार्जशीट पर संज्ञान लेने का निर्देश दिया था. येदियुरप्पा ने अपनी अपील में तर्क दिया कि जिस समय का ये अपराध बताया जा रहा है उस समय वे पब्लिक सर्वेंट थे और आज भी पब्लिक सर्वेंट इसलिए उनके खिलाफ संज्ञान लिए जाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता.
सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन येदियुरप्पा की तरफ से कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कोर्ट में कहा कि कॉन्ट्रैक्ट देने का फैसला पूरी तरह 'प्रमाणिक प्रशासनिक निर्णय (Bonafide administrative decision) था. इस तरह के मामले में बिना पूर्व स्वीकृति के चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकती.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने ये आदेश कारोबारी आलम पाशा की शिकायत पर जारी किया था. आलम पाशा ने अदालत में शिकायत की थी कि हाउसिंग कंस्ट्रक्शन के विकास के लिए दिया गया आदेश 'शेल कंपनियों' को सौंपा गया था ताकि बड़े स्तर पर जमीनों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया जाए.
चीफ जस्टिस बोबड़े, एएस बोपन्ना और वी राम सुब्रह्मण्यम की बेंच ने आलम पाशा, अन्य आरोपियों और लोकायुक्त को येदियुरप्पा की अपील पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है. फिलहाल इस मामले पर ट्रायल प्रोसीडिंग्स पर कोर्ट द्वारा रोक लगा दी है.
अनीषा माथुर