प्रवासी मजदूरों को 3 महीने में राशन कार्ड उपलब्ध कराएं राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, SC का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि ई-श्रम पोर्टल पर जितने भी प्रवासी मजदूर रजिस्टर्ड हैं, उन सभी को तीन महीने के अंदर राशन कार्ड दिया जाए. SC ने कहा कि सरकारों का यह कर्तव्य है कि राज्य के हर व्यक्ति तक सुविधाएं पहुंचें.

Advertisement
प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने को लेकर SC ने अहम फैसला सुनाया है. प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने को लेकर SC ने अहम फैसला सुनाया है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 21 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 8:49 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 3 महीने के भीतर ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने के लिए कहा है, ताकि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत इसका लाभ उठा सकें. 

जस्टिस एमआर शाह और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने का व्यापक प्रचार किया जाए. शीर्ष अदालत ने ये आदेश अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोक्कर की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

Advertisement

याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि NFSA के तहत प्रवासी मजदूरों को राशन दिया जाए. सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें केवल इस आधार पर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने से इनकार नहीं कर सकती कि एनएफएसए के तहत जनसंख्या अनुपात को ठीक से संतुलित नहीं रखा गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर नागरिक को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए. सरकार का यह कर्तव्य है कि राज्य के हर व्यक्ति तक सुविधाएं पहुंचें. 

दरअसल, इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों से एनएफएसए के तहत प्रवासी श्रमिकों की संख्या और विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत अन्य लाभों के बारे में जानकारी प्राप्त होने के बाद कहा था कि लगभग 38 करोड़ प्रवासी श्रमिकों में से ऑनलाइन पोर्टल ई-श्रम पर लगभग 28 करोड़ श्रमिक रजिस्टर्ड हैं. 

Advertisement

COVID-19 महामारी के दौरान SC ने प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं को लेकर स्वतः संज्ञान लिया था. इसमें कहा गया था कि लॉकडाउन की वजह से ऐसे कई लोग बेरोजगार हो गए थे. उन्होंने बदहाली का जीवन जिया. रोजगार का स्रोत न होने की वजह से लोगों को अपने गांव में जाकर बसना पड़ा. 

ये भी देखें
 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement