सीढ़ी, चिमनी, मैनहोल... जानें- कहां-कहां छिप जाते हैं आतंकी, पहलगाम के गुनहगारों को यूं ढूंढा जा रहा

पहलगाम हमले के आतंकियों को तलाशा जा रहा है. चिंता की बात ये है कि पहलगाम की बैसरन घाटी घने जंगलों से सटी हुई है, जिसमें भीतर घुसे आतंकियों को रात में खोजना कठिन काम होता है लेकिन एडवांस टेक्नलॉजी वाले रडार के साथ ही सेना की स्पेशल टीम जंगल में सर्च ऑपरेशन में जुटी है.

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पहलगाम में हमले वाली जगह के आस पास सुरक्षा जवान पहलगाम में हमले वाली जगह के आस पास सुरक्षा जवान

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 9:09 PM IST

पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ कर चुके हैं कि दोषियों को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है. आतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलकर रहेगी. आज गुरुवार को बिहार के मधुबनी में सभा की शुरुआत में पहले प्रधानमंत्री ने आतंकी हमले में जान गंवाने वालों को मौन श्रद्धांजलि दी और फिर आतंक की बची हुई जमीन को भी खत्म करने का जो प्रण लिया है, उससे साफ है कि कल जो कुछ पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाए गए हैं, वो तो शुरुआत भर है.

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आतंकियों को हमले के बाद से ही तलाशा जा रहा है. चिंता की बात ये है कि पहलगाम की बैसरन घाटी घने जंगलों से सटी हुई है, जिसमें भीतर घुसे आतंकियों को रात में खोजना कठिन काम होता है लेकिन एडवांस टेक्नलॉजी वाले रडार के साथ ही सेना की स्पेशल टीम जंगल में सर्च ऑपरेशन में जुटी है.

दरअसल, आतंकियों ने भारत को बड़ा जख्म देने के लिए पहलगाम की बैसरन घाटी को खासतौर से चुना. एक तो यहां पर पर्यटकों की संख्या ज्यादा होती है वहीं इसके आसपास घने जंगल हैं, जहां छिपकर भागना आसान है. सूत्रों ने बताया है कि इन घने जंगलों और पहाड़ियों में आतंकियों को ढूंढने के लिए एडवांड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा.

जंगल में इस तकनीक का हो रहा इस्तेमाल

सर्च ऑपरेशन में फोलिइज पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये ऐसा रडार है जिसके जरिए घने जंगलों में छुपे आतंकियों की मूवमेंट का बड़े आसानी से पता लगाया जा सकता है. सुरक्षा बल इस वक्त जंगलों में इसी तरह से आतंकवादियों को ढूंढ रहे हैं. सेना के लिए जंगलों में आतंकवादियों को ढूंढना मिशन इम्पॉसिबल की तरह है. कारण, वहां पर आतंकवादियों के छिपने की बेशुमार जगह हैं. खासकर आबादी वाले इलाकों में.

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सेना ने रीक्रिएट किए हाइडआउट

जंगल में आतंकवादी कहां छिप सकते हैं? इसे लेकर सेना ने हाइडआउट रीक्रिएट किए हैं, जहां आतंकवादी छिपकर सैनिकों को आसानी से चकमा दे देते हैं. दरअसल, जंगल में अक्सर आतंकवादी आबादी वाले इलाकों में छिप जाते हैं, जहां पर घरों में उनके छिपना बहुत आसान है, खासकर किचन में. ऐसी ही एक और किचन सेना ने रीक्रिएट की है, जिसमें आतंकवादी चिमनी की जगह के पीछे आराम से छिप सकते हैं. चिमनी ही नहीं आतंवादी सीढ़ियों के अंदर भी छिपकर वार कर देते हैं.

घाटी के हर घर में एक मैनहोल होता है, लेकिन ये मैनहोल खाली नहीं है और ना ही इसके भीतर कोई नाला है.  यानी इस तरह के मैनहोल को आतंकवादी अपना हाइड आउट बनाते हैं. यहां पर छुपकर वह गश्त करने वाले सैनिकों को निशाना बना सकते हैं. इसीलिए जब इस रास्ते से चलकर जाना होता है तो चाहे जमीन हो, चाहे ऐसे मैनहोल हो, चाहे घरों के भीतर अलमारियां हों, किचन में छज्जे हों, कमरों के छज्जे हों, हर जगह बहुत ध्यान देना होता है. क्योंकि ना जाने कौन कहां से आपका दुश्मन आप पर निशाना साध रहा हो.

बता दें कि पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर आतंकवादियों ने देश और दुनिया में ये संदेश देने की कोशिश की है कि कश्मीर में हालात अभी भी अस्थिर हैं. इस हमले के जरिए पर्यटन को चौपट करके सांम्प्रदायिक तनाव को भी भड़काने का प्रसास किया गया है. लेकिन पाकिस्तान की हर साजिश नाकाम होगी.

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