रोहित वेमुला केस की क्लोजर रिपोर्ट से कांग्रेस और बीजेपी के लिए तैयार हुआ नया राजनीतिक मैदान!

राहुल गांधी ने संसद में रोहित वेमुला का मुद्दा उठाया और पूछा कि क्या कांग्रेस नेता अब दलितों से माफी मांगेंगे, तो भाजपा ने उस क्लिप को उजागर करने की कोशिश की. पार्टी ने राहुल गांधी पर वेमुला की मौत के बारे में झूठी कहानी गढ़ने और मुद्दे का राजनीतिकरण करने और भाजपा सरकार को दलित विरोधी बताने का आरोप लगाया.

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रोहित वेमुला-फाइल फोटो रोहित वेमुला-फाइल फोटो

टी एस सुधीर

  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST

SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक वोटों पर नजर रखने वाले तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी लगभग हर चुनावी सभा में भाजपा पर हमला बोलते रहे हैं. रेवंत रेड्डी भाजपा पर भारत के संविधान को फिर से लिखकर देश में आरक्षण खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाते रहे हैं. ऐसे में पीएम मोदी फिर से केंद्र की सत्ता में आए. उसी समय तेलंगाना में पुलिस बल ने रोहित वेमुला मामले में अदालत में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें कहा गया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जनवरी 2016 में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र को आत्महत्या के लिए किसी ने उकसाया था.

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विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति अप्पा राव की ओर से हॉस्टल से निकाले जाने के बाद रोहित वेमुला की आत्महत्या से मृत्यु हो गई. रोहित समेत पांच छात्रों के प्रवेश पर भी कुछ सार्वजनिक स्थानों पर रोक लगा दी गई. इस निर्णय को शिक्षा से वंचित करने और उन्हें सामाजिक बहिष्कार के अधीन करने के प्रयास के रूप में बताया गया. रोहित ने प्रोफेसर राव को एक पत्र लिखा, जिसमें विश्वविद्यालय से 'छात्रों के लिए इच्छामृत्यु की सुविधा की तैयारी करने' के लिए कहा गया. 

रोहित ने पत्र में कई बातों का जिक्र किया
रोहित ने पत्र में वीसी से यह भी कहा कि 'कृपया सभी दलित छात्रों को 10 मिलीग्राम सोडियम एजाइड दे दें.' प्रवेश के समय दिशा-निर्देश के साथ जब उनका अंबेडकर को पढ़ने का मन हो तो उपयोग करें और सभी दलित छात्रों के कमरों में एक अच्छी रस्सी की सुविधा भी दें.' इसका उद्देश्य वीसी को दलित विरोधी बताना था.

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अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन और एबीवीपी के बीच विचारों की लड़ाई
इस कदम के बाद अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (ASA) जिसके रोहित सदस्य थे और एबीवीपी के बीच विचारों को लेकर टकराव हो गया. जनवरी 2016 से पहले दोनों समूहों के बीच कई झगड़े हुए थे और पांच दलित विद्वानों के खिलाफ पुलिस ने मामला भी दर्ज किया था. फिर इस मामले में बीजेपी के बड़े नेता शामिल हो गए. वरिष्ठ नेता एन रामचंदर राव ने विश्वविद्यालय प्रशासन से कार्रवाई करने के लिए धरना आयोजित किया. 

तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर HCU में 'राष्ट्र-विरोधी, जातिवादी' तत्वों के बारे में शिकायत की थी और मंत्रालय ने वीसी से तत्परता से पूछा कि क्या कार्रवाई की गई है. अंत में निष्कासन का निर्णय लिया गया.

आत्महत्या के कारण व्यक्तिगत बताए गए
रोहित वेमुला के समर्थकों और वामपंथी दलों ने लगातार उनकी आत्महत्या को 'संस्थागत हत्या' कहा. वे उनकी जाति की पहचान को बदनाम करने के प्रयासों पर भी उंगली उठाते हैं. गुंटूर जिला कलेक्टर ने दावा किया था कि रोहित वेमुला वड्डेरा समुदाय से थे जो एक पिछड़ी जाति और परिवार ने फर्जी तरीकों का उपयोग करके एससी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया था. क्लोजर रिपोर्ट उन्हीं निष्कर्षों को दोहराती है, जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि आत्महत्या के कारण व्यक्तिगत थे.

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रिपोर्ट में कहा गया कि मृतक को खुद पता था कि वह अनुसूचित जाति से नहीं है. बीजेपी नेताओं और तत्कालीन यूनिवर्सिटी वी-सी को क्लीन चिट दी गई. इसमें यह भी कहा गया कि रोहित अपनी पढ़ाई से ज्यादा कैंपस में छात्र राजनीतिक मुद्दों में शामिल था.

कांग्रेस के सरकार वाले में क्लोजर रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे आधिकारिक तौर पर उस राज्य में दाखिल किया गया है जहां अब कांग्रेस पार्टी का शासन है. पिछले साल कांग्रेस ने शैक्षणिक संस्थानों में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक छात्रों के साथ होने वाले भेदभाव के निवारण के लिए 'रोहित वेमुला अधिनियम' लाने का वादा किया था. इसलिए क्लोजर रिपोर्ट उत्पीड़ित वर्गों के प्रति कांग्रेस के प्रेम को झूठा बनाएगी और चुनाव के समय मतदाताओं के मन में संदेह पैदा करेगी.

जब राहुल गांधी ने संसद में रोहित वेमुला का मुद्दा उठाया और पूछा कि क्या कांग्रेस नेता अब दलितों से माफी मांगेंगे, तो भाजपा ने उस क्लिप को उजागर करने की कोशिश की. पार्टी ने राहुल गांधी पर वेमुला की मौत के बारे में झूठी कहानी गढ़ने और मुद्दे का राजनीतिकरण करने और भाजपा सरकार को दलित विरोधी बताने का आरोप लगाया.

लेकिन चाहे जानबूझकर या गलती से क्लोजर रिपोर्ट ने कांग्रेस को भाजपा को हराने का एक मौका दे दिया है. भले ही क्लोजर रिपोर्ट आधिकारिक तौर पर मार्च 2024 में अदालत में दायर की गई थी, लेकिन तेलंगाना पुलिस प्रमुख ने रिकॉर्ड पर यह स्पष्ट किया है कि इसे 2018 में जांच अधिकारी द्वारा तैयार किया गया था. इसका निष्कर्ष यह निकाला जा रहा है कि के.चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तत्कालीन बीआरएस सरकार थी जिसने रोहित वेमुला की 'दलित' पहचान को खारिज करके भाजपा नेताओं को छूट देने का फैसला किया था.

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