फैशन डिजायनर हैं राम, सगे भाई हैं भरत और लक्ष्मण... आकर्षण का केंद्र बनी गौर सिटी-1 की रामलीला

नोएडा एक्सटेंशन के गौर सिटी-1 में हो रही रामलीला लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इस लीला मंचन की खास बात ये है कि इसके कलाकार बहुत उम्रदराज या अनुभवी नहीं हैं, बल्कि कई तो अभी पढ़ाई कर रहे हैं. कुछ ऐसे हैं जिन्होंने अभी नौकरी या कारोबार शुरू किया है, लेकिन रंगमंच के लिए उनकी प्रतिबद्धता और लीला के साथ जुड़ाव उनसे सहज ही अभिनय करा रहा है.

Advertisement
नोएडा के गौरसिटी-1 में हो रही रामलीला का एक दृश्य नोएडा के गौरसिटी-1 में हो रही रामलीला का एक दृश्य

विकास पोरवाल

  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 9:52 AM IST

रामलीलाओं का दौर जारी है. मंच पर श्रीराम और सीता बने कलाकार रामकथा के एक-एक प्रसंग को जीवंत कर रहे हैं और इसी के जरिए पुराने समय से चली आ रही परंपरा नएपन का अहसास साथ लिए जीवन में आनंद, धर्म, नैतिकता का रस घोल रही है. नोएडा एक्सटेंशन यानी ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौर सिटी-1 में रामलीला का मंचन श्री रामलीला सेवा ट्रस्ट कर रहा है. aajtak.in ने इसके मुख्य किरदारों से बातचीत कर जाना कि मंच पर पौराणिक किरदारों में नजर आने वाले चेहरे असल जिंदगी में अपना किरदार कैसे निभा रहे हैं.
  
इस लीला मंचन की खास बात ये है कि इसके कलाकार बहुत उम्रदराज या अनुभवी नहीं हैं, बल्कि कई तो अभी पढ़ाई कर रहे हैं. कुछ ऐसे हैं जिन्होंने अभी नौकरी या कारोबार शुरू किया है, लेकिन रंगमंच के लिए उनकी प्रतिबद्धता और लीला के साथ जुड़ाव उनसे सहज ही अभिनय करा रहा है. राम का अभिनय कर रहे अमित फैशन डिजायनर हैं और एक एनजीओ से भी जुड़े हैं. सीता के किरदार में दिख रहीं सुकृति ज्योतिषि हैं. 

Advertisement

इस रामलीला के निर्देशक हर्षित शर्मा बताते हैं कि उनके पास सभी यंग टैलेंट हैं और वे खुद इस मंचन को अपनी जिम्मेदारी समझते हैं. ऐसे में उन्हें किरदारों के रूप में निर्देशित करने में समस्या नहीं होती. अपने काम और पढ़ाई के बीच कलाकार खुद समय निकालकर मंचन से जुड़े रहते हैं और जैसे-जैसे समय नजदीक आता जाता है, वह इसके लिए और समय देने लगते हैं. कई बार वीडियो कॉल्स पर भी संवादों की प्रैक्टिस और हाव-भाव के तौर-तरीके बताए जाते हैं. इससे सुविधा यह होती है कि आपको हमेशा मौजूद नहीं रहना होता है,  आप जहां भी हैं,  समय निकालकर जुड़ सकते हैं. कलाकार तो इन सबमें ऐसे रम गए हैं कि वह अपनी सामान्य बातचीत भी संवाद अदायगी के तौर पर करने लगे हैं.

'जीवन में अनुशासन लेकर आया है श्रीराम का किरदार'
दिल्ली के करावल नगर निवासी अमित यहां लीला में राम का किरदार निभा रहे हैं.  वह बताते हैं कि एक दोस्त के जरिए वह लीला मंचन से जुड़े. कुछ हटके करने की प्रेरणा उन्हें इस ओर ले आई. इसके अलावा वह फैशन डिजायनिंग में अपना करियर शुरू कर रहे हैं और एक एनजीओ से भी जुड़े हुए हैं. श्रीराम के किरदार को लेकर अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, लीला से जुड़ाव उनके जीवन में एक अनुशासन लेकर आया है. मंच पर जाने के बाद लगता है कि उनमें वही दिव्य छाया सी आ गई है. कई बार रिहर्सल करते समय आशीर्वाद जैसी मुद्रा में सहजता नहीं आती थी,  लेकिन मंच पर एक कॉन्फिडेंस अपने आप आ जाता है. अमित 25 साल के हैं, बहुत वाचाल रहे हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे उनमें गंभीरता भी आ रही है. यह सिर्फ खुद के लिए नहीं है, बल्कि परिवार और समाज के लिए भी है. किसी से दुराव और विवाद होने की स्थिति में खुद को शांत रखने की कोशिश करते हैं. खाली समय में टेरेस गार्डनिंग करते हैं और अपने यूट्यूब चैनल के जरिए लोगों को इसके लिए ट्रेनिंग भी देते हैं.  

Advertisement

'लीला मंचन मेरे लिए पूजा की तरह'
रावण का किरदार कर रहे 37 वर्षीय मुकेश कुमार गोस्वामी रामलीला में बीते 7 वर्षों से सक्रिय है और वह बीएसईएस यमुना प्राधिकरण में असिस्टेंट लाइन मैन हैं और छुट्टी लेकर रामलीला के मंचन में शामिल होते हैं. अपना एक वाकया बताते हुए वह कहते हैं कि कुछ साल पहले उनके साथ दुर्घटना हो गई थी, उन्हें करंट लग गया था और काफी हद तक वह झुलस गए थे. अपने बच जाने और दोबारा सामान्य जिंदगी में लौट आने को वह श्रीराम का चमत्कार ही मानते हैं. लीलामंचन उनके लिए पूजा की तरह है, वह मानते हैं कि यह भी आस्था का एक जरिया ही है.

'एंगर इश्यू से निपटने में मिली मदद'
जीवन में अनुशासन आने की बात सीता का किरदार निभा रहीं सुकृति शर्मा भी मानती हैं. इसके साथ ही सीता के किरदार ने उन्हें उनके एंगर इश्यू को सॉल्व करने में भी काफी मदद की है. वह लीला मंचन से तो बीते कुछ सालों से जुड़ी हैं, लेकिन पहली बार सीता का किरदार निभा रही हैं. आज के दौर में सीता के व्यक्तित्व को अपनाने को लेकर वह कहती हैं कि अपने जीवन में पूरी तरह सीता बन पाना इसलिए भी थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इसके लिए सामने वाला भी राम होना जरूरी है. लेकिन रिश्तों में आस्था और विश्वास आज के दौर में जिस तरीके खत्म हो रहा है, इसकी सीख तो आपको देवी सीता का ही किरदार दे सकता है. 

Advertisement

सगे भाई हैं भरत और लक्ष्मण
मंच पर भरत और लक्ष्मण का किरदार कर रहे कलाकार असल जिंदगी में भी सगे भाई हैं. भरत का किरदार कर रहे राजीव (25 वर्ष) और लक्ष्मण बने पवन (21) बिहार के नवादा जिले से हैं. एक्टिंग और संगीत में दिलचस्पी एक दिन दोनों भाइयों को दिल्ली ले आई और यहां हुनर को मांजने का काम शुरू हुआ. दोनों भाई एक नामी संस्था से अभिनय का प्रशिक्षण ले रहे हैं तो उनके मुताबिक, लीला मंचन के लिए अलग से समय नहीं निकालना पड़ता है. केवल इन 10-12 दिन के लिए कॉलेज से अलग से छुट्टी लेनी होती है. राजीव कहते हैं कि हम दोनों भाई हैं, तो हम मंच पर सहज ही रहते हैं कि क्योंकि हमारा किरदार भाइयों का ही है, लेकिन मेरा छोटा भाई वाकई लक्ष्मण की तरह ही है, उसे जल्द ही गुस्सा आ जाता है, लेकिन समझाने पर मान भी जाता है. हम दोनों कई साल से घर से दूर हैं और बाहर रह रहे हैं तो वह भी मेरी बात समझता है. 

वेब सीरीज-सीरियल्स में काम कर चुके हैं हनुमान बने अभिषेक
लीला मंचन में सबसे दिलचस्प किरदार है हनुमान जी का. इस किरदार को गाजियाबाद के अभिषेक त्यागी निभा रहे हैं. बकौल अभिषेक शुरू में तो एक्टिंग में करियर बनाने को लेकर घरवाले राजी नहीं थे, लेकिन मेरी दिलचस्पी देखकर धीरे-धीरे मान गए. इस पूरे मंचन में अभिषेक ही एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने कैमरे को भी फेस किया है और मुंबई तक का सफर कर आए हैं. 26 साल के अभिषेक त्यागी पुण्य श्लोक अहिल्या बाई सीरियल में एक छोटा किरदार निभा चुके हैं, साथ ही उन्हें एक वेब सीरीज में भी अपना हुनर दिखाने का मौका मिला है. उनका कहना है कि अभी शुरुआत है, आगे और भी मौके मिलेंगे और इस फील्ड में बेहतर अभिनय भी करेंगे. अभी अपने इष्ट बजरंग बली का किरदार निभा रहा हूं. इसलिए बहुत खुश हूं. इसे निभाते हुए ऐसा लगता है कि उनका आशीर्वाद वाकई मेरे साथ है. 

Advertisement

कुछ कलाकारों पर कई किरदारों का जिम्मा
कुछ कलाकार ऐसे भी हैं जो लीला मंचन के दौरान कई किरदार निभा रहे हैं. कुछ पल पहले वह किसी अन्य किरदार में दिखते हैं तो अगले ही सीन में वह कुछ और गेटअप लेकर आ जाते हैं. रामलीला में श्रवण, नारद मुनि, इंद्र देव और ऋषि विश्वामित्र और राजा दशरथ जैसे किरदार कुछ समय के लिए ही दिखते हैं. कलाकार सनी शर्मा ने इनमें से कई किरदारों को मंच पर जीवंत किया है. वह पहले दिन श्रवण कुमार बने. फिर तपस्या के दौरान कुंभकर्ण का भी किरदार निभाया. जनक के दरबारी बने. संदेश वाहक, राजा, भाट और चारण का किरदार भी निभाया. हनुमान का किरदार कर रहे अभिषेक भी अभी तक राजा दशरथ के रोल में दिख रहे थे.  

सत्यमेव जयते को स्थापित करती है रामकथा
श्रीजी कलामंच फाउंडर संदीप कुमार अरोरा ने कहा कि भारतीय जनमानस में रामकथा आदर्श को स्थापित करने का सबसे बेहतरीन और सबसे सुलभ तरीका रही है. इसका वर्जन कोई भी हो और कैसा भी हो, उसकी अंतिम सीख विश्वास, आस्था, संबंधों में प्रेम की पराकाष्ठा और जीवन में नैतिकता के साथ हर जीव के प्रति दया-करुणा जैसे भाव रखने की है. रामकथा ही यह बताती है कि सत्य परेशान हो सकता पराजित नहीं और असत्य को एक दिन नष्ट हो जाना होता है. यह कथा 'सत्यमेव जयते' के ध्येय को भी स्थापित करती है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement