कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है. लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया है. दरअसल, सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में गुरुवार को राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. कोर्ट के फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8 के तहत ये फैसले लिया गया है. उधर, कांग्रेस ने इस फैसले को लेकर इमरजेंसी बैठक भी की है. इसमें सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद रहे.
वायनाड से सांसदी जाने के बाद राहुल गांधी शनिवार की दोपहर 1 बजे कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करेंगे. कांग्रेस ने मीडिया से उनकी पीसी को कवरेज देने की अपील भी की है.
JDU चीफ LALAN SINGH ने कहा है कि हड़बड़ी में कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता समाप्त करने का निर्णय लिया गया, इससे स्प्ष्ट है कि केंद्र की बीजेपी सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है. इसकी पूरी पटकथा बीजेपी ने लिखी है. सूरत की सत्र न्यायालय के अपील के लिए दिए गए एक महीने के समय को दरकिनार करते हुए आनन-फानन में भाजपा सरकार का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है. काश केंद्र की सरकार 81 हजार करोड़ के कॉपरपोरेट घोटाले के खिलाफ ऐसी ही कार्रवाई करती. संभव है इसकी जांच की मांग का खामियाजा राहुल गांधी को उठाना पड़ा है.
राहुल गांधी की सांसदी जाने पर AICC की बैठक हुई. इस बैठक में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद रहे.
संसद सदस्यता रद्द किए जाने के बाद लोकसभा की वेबसाइट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम हटाया गया. उन्हें आपराधिक मानहानि के मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई थी.
राहुल गांधी की सांसदी रद्द होने के बाद कांग्रेस की इमरजेंसी बैठक शुरू हो गई है. इस बैठक में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद है. हालांकि, राहुल गांधी खुद इस बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचे हैं.
राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर बीजेपी ने प्रेस कांफ्रेंस की. पीसी में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सूरत कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है. कोर्ट ने साबित किया है कि भारत की लोकतांत्रित व्यवस्था में कोई भी ऊपर नहीं है. कांग्रेस में बहुत बड़े-बड़े और नामी-गिरामी वकील हैं. एक ने तो यह कह भी दिया था कि सजा का ऐलान होते ही संसद की सदस्यता जाएगी. लेकिन कांग्रेस चाहती है कि गांधी परिवार पर कोई कार्रवाई न हो और उनके लिए अलग से IPC बनाई जाए.
राहुल की सांसदी जाने पर कांग्रेस का बयान आया है. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु संघवी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि सभी जानते हैं कि राहुल गांधी संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह निडर होकर बोलते रहे हैं. वह इसकी कीमत चुका रहे हैं. सरकार बौखला गई है. यह सरकार उनकी आवाज दबाने के लिए नई तरीके खोज रही है.
राहुल गांधी की सांसदी रद्द होने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई है. हमारे देश में 'चोर को चोर' कहना अपराध है. यहां चोर और लुटेरे खुले घूम रहे हैं और राहुल गांधी को सजा दे दी गई है. यह सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या है. पूरा सरकारी तंत्र इस समय दबाव में है. यह तानाशाही के खात्मे की शुरुआत है. अब लड़ाई को सही दिशा देने का समय आ गया है.
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है. हालांकि, राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है. हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है. लेकिन अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी ने उन्हें अयोग्य ठहराने के सभी तरीके आजमाए. जो सच बोल रहे हैं उन्हें वो रखना नहीं चाहते लेकिन हम सच बोलते रहेंगे. हम जेपीसी की मांग जारी रखेंगे, जरूरत पड़ी तो लोकतंत्र बचाने के लिए जेल जाएंगे.
लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी है. राहुल गांधी 2019 में वायनाड से सांसद चुने गए थे.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने 'मोदी सरनेम' वाले बयान को लेकर दायर मानहानि के मामले में दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई. राहुल गांधी ने कर्नाटक में 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ये बयान दिया था. कोर्ट ने राहुल को 15000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देते हुए सजा को 30 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया. इस दौरान राहुल गांधी ऊपरी अदालत में सजा को चुनौती दे सकते हैं. कोर्ट ने अपने 170 पेज के फैसले में कहा है कि आरोपी खुद सांसद (संसद सदस्य) हैं और सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद भी आचरण में कोई बदलाव नहीं आया.
चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा ने कहा, शिकायतकर्ता ने गवाह के बयान, दस्तावेजी और इलेक्ट्रॉनिक सूबतों के आधार पर मामले को बिना किसी संदेह के साबित कर दिया है. कोर्ट ने कहा, ''शिकायत केवल इसलिए दर्ज नहीं की गई क्योंकि मोदी समाज या इससे जुड़े लोगों की मानहानि हुई, बल्कि इस वजह से कि शिकायतकर्ता ने शिकायत की, क्योंकि उन्हें इससे ठेस पहुंची है.''
कोर्ट ने फैसल में कहा, ''आरोपी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके सरनेम को लेकर देश के आर्थिक अपराधी जैसे नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या से उनकी तुलना की. आरोपी यहां अपना भाषण रोक भी सकता था और इन्हीं लोगों की भाषण में चर्चा कर सकता था, लेकिन आरोपी ने इरादे के साथ मोदी सरनेम वाले वालों का अपमान करने के लिए अपने भाषण में कहा, 'सभी चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं.''
कोर्ट की कार्यवाही 11 बजे शुरू हुई. जज ने राहुल को दोषी करार दिया. इसके बाद उनकी सजा पर बात हुई. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, मैंने जो बोला, वो राजनेता के तौर पर बोला. मैं हमेशा देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाता रहा हूं. मेरा इरादा गलत नहीं था.
राहुल के वकील ने जज से अपील की कि उनके बयान से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. ऐसे में इस मामले में कम से कम सजा सुनाई जाए. जबकि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने इस मामले में राहुल गांधी को अधिकतम सजा और जुर्माना देने की मांग की. शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि राहुल गांधी सांसद हैं और इस तरह का आचरण अच्छा नहीं है.
दरअसल, राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था.
अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? पूर्णेश भूपेंद्र पटेल सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे. वे दिसंबर में सूरत से फिर विधायक चुने गए हैं.