पीएम केयर्स की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर ट्रस्ट ने दिल्ली HC में दिया जवाब, सरकारी नहीं है ये फंड

दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में गठित किया गया है. हलफनामे में ट्रस्ट ने कहा, पीएम केयर्स फंड पर न तो केंद्र सरकार का नियंत्रण है और न ही किसी राज्य सरकार का.

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प्रधानमंत्री केयर ट्रस्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट में दिया हलफनामा प्रधानमंत्री केयर ट्रस्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट में दिया हलफनामा

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

प्रधानमंत्री केयर फंड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में प्रधानमंत्री केयर ट्रस्ट ने कहा है कि पीएम केयर्स फंड सरकारी फंड नहीं है. इसीलिए पीएम केयर्स फंड आरटीआई के तहत सार्वजनिक प्राधिकार की परिभाषा में नहीं आता है.

दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में गठित किया गया है. हलफनामे में ट्रस्ट ने कहा, पीएम केयर्स फंड पर न तो केंद्र सरकार का नियंत्रण है और न ही किसी राज्य सरकार का. पीएम केयर्स फंड स्वेच्छा से दान करने वाले लोगों और संस्थाओं से धन लेता है. यह किसी भी बजटीय प्रावधान या लोक उपक्रम के बैलेंस शीट से आने वाले धन को स्वीकार नहीं करता है.

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सरकारी फंड घोषित करने की उठी थी मांग

आपको बता दें कि इससे पहले सितंबर 2022 में हाई कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड को सरकारी फंड घोषित करने की मांग पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को समय दिया था. जुलाई 2022 में हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव को निर्देश दिया था कि वो इस मामले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करें. कोर्ट ने इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से एक पेज का हलफनामा दाखिल करने पर नाराजगी जताई थी.

निजी फंड चलाने की नहीं दी जा सकती इजाजत

दरअसल, 26 अप्रैल 2022 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा था कि प्रधानमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्री संवैधानिक पदों पर हैं और उन्हें इस फंड को निजी तौर पर चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. 

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गौरतलब है कि ये फंड देश के प्रधानमंत्री से काफी निकटता से जुड़ा हुआ है. इस ट्रस्ट के बोर्ड में रक्षा मंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री पदेन सदस्य हैं. उन्होंने कहा था कि जैसे ही पदेन शब्द सामने आता है, इसका मतलब है कि जो भी उस पद पर बैठेगा, वो बोर्ड में शामिल होगा. 

तब कोर्ट ने दीवान से पूछा था कि आपके कहने का ये मतलब है कि ट्रस्ट का गठन नहीं किया जा सकता है. इसके जवाब में दीवान ने कहा था कि ट्रस्ट का गठन किया जा सकता है. लेकिन अगर ये सरकारी है तो उसे सभी संवैधानिक दायित्व पूरे करने होंगे. आप संविधान के बाहर जाकर निजी कंपनी की तरह काम नहीं कर सकते हैं.

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