रिटायरमेंट के बाद अगर कोई ब्यूरोक्रेट गुप्त सूचनाएं सार्वजनिक करता है तो उसकी पेंशन और दूसरी सुविधाएं बंद हो सकती है. DOPT ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है. हाल के दिनों में कई रिटायर्ड आईएएस आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों ने अपनी किताबों में सनसनीखेज खुलासे किए हैं, जिसमें उन्होंने ऐसी जानकारियां सार्वजनिक की है जोकि नहीं करनी चाहिए. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इस तरह के रिटायर्ड अधिकारियों पर लगाम लगाने के लिए कुछ कड़े कदम और नियम बनाए हैं.
डीओपीटी के 6 जुलाई के नोटिफिकेशन में तमाम नियमों और विषयों की जानकारी दी गई है. इसमें जो नियम बनाए गए हैं, उन्हें अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति-लाभ) संशोधन नियमावली, 2023 कहा जा रहा है. नियम 3 (1) में लिखा है कि रिटायरमेंट के बाद अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों का आचरण सदैव अच्छा रहे, तभी उन्हें पेंशन मिलेगी.
नियम 3 (2) में लिखा है, यदि सेवानिवृत्ति के बाद कोई पेंशनभोगी किसी गंभीर अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया गया है या उसे किसी गंभीर कदाचार का दोषी पाया गया है तो केंद्र सरकार उसकी पेंशन बंद कर सकती है या अनिश्चिकाल के लिए रोक सकती है. रिटायर्ड अधिकारी ने जो अपराध किया है, उसकी गंभीरता सरकार तय करेगी. जानकारी ये भी दी गई है कि पेंशन को रोकने या बंद करने के लिए सरकार को पहले यूपीएससी से सलाह लेनी होगी.
अगर खुफिया विभाग के महकमे में काम किया है तो अनुमति ज़रूरी
DOPT के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर खुफिया विभाग में काम किया है तो कोई सूचना सार्वजनिक करने का विचार कर रहा है तो उसे पहले संगठन हेड से इजाजत लेनी होगी. नियम 6 (क) के उप नियम (4) के तहत, अखिल भारतीय सेवा का कोई भी ऐसा सदस्य, जिसने सुरक्षा एजेंसियों या इंटेलिजेंस महकमे में काम किया है, तो वह मौजूद संगठन हेड की अनुमति के बिना कोई भी प्रकाशन नहीं कर सकता.
ऐसा प्रकाशन, जिसमें संगठन के कार्यक्षेत्र के बारे में वहां कार्यरत व्यक्तियों की सूचना, रैंक, भूमिका और क्षेत्र में विशेज्ञता है, आदि बातें, जो उसने अपने कार्यकाल के दौरान देखी हैं, उनकी जानकारी हासिल की है, उन्हें प्रकाशित नहीं करेगा. अपने काम के दौरान उसने जिस स्किल का परिचय दिया है, उसे सार्वजनिक तौर पर जाहिर नहीं करेगा. ऐसी संवदेनशील सूचना, जिसके खुलासे से भारत की संप्रभुता, अखंडता व सुरक्षा को खतरा हो, सामरिक, रणनीतिक, आर्थिक हित या विदेशी राष्ट्र के संबंध पर असर पड़ता हो, ये सब बातें भी उक्त नियम का हिस्सा हैं. इसके अलावा कोई ऐसा कार्य, जो किसी अपराध को बढ़ावा दे वह भी नियमों की अवहेलना माना जाएगा.
नोटिफिकेशन के 8 (घ) में अगर उक्त सूचना को किसी प्रकाशन, प्रेस या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पत्र के रूप में, पुस्तक, पोस्टर, पैम्फलैट या अन्य दस्तावेज का किसी भी तरह के प्रकाशन में लाया जाता है, तो वह भी गंभीर अपराध माना जाएगा. 8 (ई) में सेवा के दौरान किसी सदस्य ने अपनी पहुंच में रखे रिकॉर्ड, दस्तावेज, ज्ञापन, ईमेल, राय, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, अनुबंध, रिपोर्ट, कागजात, नमूने, मॉडल और किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में डाटा का प्रकाशन, यह भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आएगा.
जितेंद्र बहादुर सिंह