विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद को कैंसर बताया है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद कैंसर की तरह है जो सभी को प्रभावित करता है. विदेश मंत्री ने 19वें दरबारी सेठ मेमोरियल में लेक्चर के दौरान कहा है कि 11 सितंबर को वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर पर हुए हमले के 19 साल बीत चुके हैं और 26/11 मुंबई हमले के 12 साल. इसके बावजूद हमलोग आतंकवाद के खिलाफ व्यापक रणनीति बनाने में चूक कर रहे हैं.
वहीं पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसपर हमला करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि वैसे लोग जो आतंकियों को पनाह दे रहे हैं, उन्हें एक्सपोज किया जाना चाहिए. वैसे देश जिनके लिए आतंकवाद प्राइमरी एक्सपोर्ट बिजनेस है वो आज खुद को आतंकवाद पीड़ित के तौर पर दिखा रहा है. हमने देखा है कि इस तरह के देश मन मार कर मान रहे हैं कि उन्होंने अपने यहां आतंकियों को शरण दे रखी है. आतंकवाद के खिलाफ हमारा संघर्ष अब भी जारी है.
लद्दाख में स्थिति बहुत गंभीर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक दिन पहले ही लद्दाख की स्थिति को 1962 के बाद सबसे गंभीर करार दिया था. जयशंकर ने अपनी बुक रिलीज होने से पहले रेडिफ को दिए इंटरव्यू में कहा, निश्चित रूप से ये 1962 के बाद की सबसे गंभीर स्थिति है. पिछले 45 सालों में सीमा पर पहली बार हमारे सैनिकों की मौत हुई है. एलएसी पर दोनों पक्षों की तरफ से बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती है जो कि अप्रत्याशित है.
लद्दाख में भारत के रुख को साफ करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद के समाधान में यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं होना चाहिए. समाधान में हर समझौते का सम्मान होना चाहिए.
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विदेश मंत्री ने कहा, अगर पिछले एक दशक को देखें तो चीन के साथ कई बार सीमा विवाद उभरा है- डेपसांग, चूमर और डोकलाम. कुछ हद तक हर सीमा विवाद अलग तरह का रहा. मौजूदा विवाद भी कई मायनों में अलग है. हालांकि, सभी सीमा विवादों में एक बात जो निकलकर आती है वो ये है कि समाधान कूटनीति के जरिए ही किया जाना चाहिए.
जयशंकर ने कहा, जैसा कि आपको पता है कि हम चीनी पक्ष से सैन्य और कूटनीतिक दोनों चैनलों के जरिए बातचीत कर रहे हैं. दोनों चीजें साथ-साथ चल रही हैं.
गीता मोहन