कोरोना महामारी के बाद ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित लोकप्रिय सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में बंगाल टाइगर की गिनती शुक्रवार से शुरु हो गई है. रिजर्व में टाइगरों की गिनती की समय अवधि सात दिनों की रखी गई है, जिसे चार चरणों में बांटा गया है. साथ ही रिजर्व में गिनती के लिए आधुनिक तकनीक से लैस 500 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं.
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व बंगाल टाइगर की उपस्थिति के साथ लोगों के बीच लोकप्रिय रहा है. रिजर्व में टाइगर की गिनती की काम सिमलीपाल टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक साई किरण की निगरानी में शुक्रवार (26 नवंबर) से अगले सात दिनों तक निर्धारित किया गया है. इसको चार भाग में विभाजित किया गया है. प्रथम चरण में टाइगर की गिनती की प्रक्रिया करंजिया वन प्रमंडल के अंतर्गत 55 बीट से शुरू की गई है. वहीं, दूसरा चरण में उत्तर वन्यजीव संभाग के अंतर्गत 70 बीट में टाइगरों की गिनती होगी.
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में संपूर्ण टाइगरों की गिनती के लिए अलग-अलग निश्चित स्थानों पर अधुनिक तकनीक से लैस 500 से अधिक ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. ओडिशा में सतकोसिया के साथ सिमलीपाल में बंगाल टाइगर का निवास स्थान कहा जाता है. सिमलीपाल के अधिकारियों ने बताया कि पहले तीन दिनों तक जनगणना साइन सर्वे और ट्रांसेक्ट वॉक के आधार पर होगी.
एनटीसीए (NTCA) हर चार साल में टाइगर की गणना करता है. 2018 में एनटीसीए ने ओडिशा के बाघों की संख्या 28 आंकी थी. 2018 की जनगणना से पता चला है कि 2014 के सर्वेक्षण के बाद से ओडिशा में एक भी टाइगर नहीं बढ़ा था, और 28 टाइगर में से अकेले सिमलीपाल में 16 टाइगर थे. सन 2018-19 में ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन (All India Tiger Estimation) द्वारा किए चौथे सर्वेक्षण के मुताबिक ओडिशा में सन 2014-18 के बीच टाइगर की संख्या 28 पर बनी रही.
आजतक से बातचीत में वन संरक्षक की सहायक फाल्गुनी बेहरा ने कहा कि ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन-2021 के अंतर्गत टाइगरों की गिनती कि प्रक्रिया की शुरुआत शुक्रवार से हुई है. प्रथम चरण में मूल रूप से 5 किलोमीटर के दायरे में सर्वे अभियान चलाया गया. बेहरा ने कहा कि इस बार गिनती की प्रक्रिया के दौरान कागज और कलम के स्थान पर इकोलॉजिकल ऐप्लिकेशन का प्रयोग किया जा रहा है. ऐसे में टाइगरों की गिनती में वन कर्मचारियों को सहायता मिलेगी.
मोहम्मद सूफ़ियान