दल-बदल करने पर सांसदों की अयोग्यता से संबंधित याचिका कई महीनों से लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला के पास लंबित पड़ी है. 'आजतक' द्वारा सूचना के अधिकार के तहत एक जानकारी मांगने पर इस तथ्य का पता चला है.
लोकसभा सचिवालय ने अपने जवाब में कहा है कि दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law) के तहत 11 फरवरी 2021, 12 मई 2021 और 7 जुलाई 2021 को तीन याचिकाएं लोकसभा को प्राप्त हुई है. ये याचिका सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और सांसद मरगनी भारत से मिली हैं. लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि इन याचिकाओं पर विचार किया जा रहा है.
हालांकि इन याचिकाओं के बारे में लोकसभा सचिवालय ने विस्तार से जानकारी नहीं दी है, लेकिन रिपोर्ट से पता चलता है कि ये जो तीन याचिकाएं लंबित हैं उनमें से दो टीएमसी सांसदों और एक वाईएसआर कांग्रेस के सांसद के खिलाफ है.
जिन टीएमसी सांसदों के खिलाफ दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई करने की मांग की गई है, वे सांसद हैं- सुशील कुमार मंडल और सिसिर अधिकारी. सिसिर अधिकारी बीजेपी नेता शुभेन्दु अधिकारी के पिता हैं. सिसिर अधिकारी मार्च 21 में बीजेपी में शामिल हुए थे, जबकि सुशील कुमार दिसंबर 2020 में बीजेपी में शामिल हुए थे.
तीसरी याचिका सांसद के रघु राम कृष्ण राजू हैं जो YSRCP के सांसद हैं. पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर इनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है.
अगर हम तारीख के आधार पर देखें तो पता चलता है कि सांसद को अयोग्य ठहराने की पहली याचिका स्पीकर के पास 8 महीने से लंबित पड़ी है. दूसरी याचिका 4 महीने से लंबित है, जबकि तीसरी याचिका 3 महीने से लंबित है.
...तो चली जाती है सदस्यता
बता दें कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत जब किसी राजनीतिक दल के टिकट पर निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से ऐसी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है या पार्टी की इच्छा के खिलाफ सदन में वोट देता है, तो सदस्य अपनी सीट खो देता है.
इस कानून ने लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों को दलबदल विरोधी कानून के तहत विधायकों की अयोग्यता की मांग करने वाली याचिकाओं पर निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की है. लेकिन दल-बदल विरोधी कानून के बावजूद विधायकों और सांसदों के दलबदल का सिलसिला जारी है.
अशोक उपाध्याय