क्या यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्र भारत में पढ़ाई पूरी कर सकते हैं? विशेषज्ञों ने कहा- कहना आसान है, करना मुश्किल

Russia Ukraine War: यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को अपनी अधूरी छूटी पढ़ाई को लेकर चिंता बनी हुई है. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है सरकार चाहे तो बहुत कुछ कर सकती है, जिससे इन छात्रों का भविष्य खराब होने से बच सके.

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भारत में पढ़ाई पूरी करना इतना भी आसान नहीं होगा (फोटो- पीटीआई) भारत में पढ़ाई पूरी करना इतना भी आसान नहीं होगा (फोटो- पीटीआई)

मिलन शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 05 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 6:12 PM IST
  • आईएमए ने पीएम को लिखा पत्र, 2-5% सीटें बढ़ाने की मांग
  • सरकार उन्हें ज़ीरो इंट्रेस्ट पर लोन के तौर पर वित्तीय सहायता दे सकती है

यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों (Medical students from Ukraine) के सामने सबसे बड़ा संकट यह है कि अब उनकी पढ़ाई का क्या होगा. डॉक्टरी की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर आने के बाद, अब वे डॉक्टर बनेंगे भी या नहीं. सभी के सामने अपने भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. क्योंकि रूस यूक्रेन को तबाह करने पर उतारू है, जहां इमारतें, स्कूल, संस्थाएं सब ध्वस्त कर दी गई हैं. 

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इससे सवाल यह उठा कि क्या भारत सरकार यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेजों में जगह देगी या नहीं. इस बात की उम्मीदें उस समय और बढ़ गईं, जब भारतीय मंत्री जनरल वीके सिंह को एक वीडियो में यह घोषणा करते हुए देखा गया कि पोलैंड अपने विश्वविद्यालयों में यूक्रेन से बचाए गए मेडिकल छात्रों को पढ़ाई जारी रखने के लिए जगह देने के लिए राजी हो गया है.

यूक्रेन से लौटे छात्र भारत में पढ़ाई करने के बारे में क्या सोचते हैं

विनितसिया नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की छात्रा श्रेया शर्मा को बहुत उम्मीदें नहीं हैं. वह कहती हैं, 'मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार 20,000 छात्रों को यहां जगह दे सकती है. हालांकि, अगर वे ऐसा कर सकते तो ये बहुत अच्छा होता. हमारी पढ़ाई युद्ध की वजह से खराब हो गई है, मेरी एक दोस्त लुगांस्क स्टेट मेडिकल युनिवर्सिटी में पढ़ रही है, जिसे बम से उड़ा दिया गया है. अब युनिवर्सिटी है ही नहीं. '

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ऑपरेशन गंगा के तहत, यूक्रेन से लौटे हरियाणा के एक छात्र कुलदीप, वहां से लौटकर आने वाले छात्रों में से पहले थे. उनका कहना है, 'अब जबकि भारत ने इस युद्ध को लेकर एक अलग रुख अपनाया है और खुद को वोट करने से दूर रखा, तो वहां यूक्रेन में ये चर्चा थी कि भारतीयों ने उनका समर्थन नहीं किया. अगर हम पढ़ाई के लिए वापस जाने का फैसला करते हैं, तो हमारे लिए यह एक अनिश्चित स्थिति हो सकती है. हम नहीं जानते कि वहां के विश्वविद्यालयों का क्या होगा, क्योंकि इस युद्ध में ज़्यादातर इमारतों को बर्बाद कर दिया गया है.

एनएमसी के हालिया सर्कुलर से भ्रम की स्थिति

नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने 4 मार्च को एक जारी सर्कुलर में FMGE परीक्षा पास करने वाले छात्रों को स्टाइपेंड देने की बात कही गई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विदेशी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मेडिकल छात्रों को भारत में इंटर्नशिप के दौरान स्टाइपेंड भी नहीं दिया गया.

NMC ने सर्कुलर में कहा है कि ऐसे और भी विदेशी मेडिकल छात्र हैं जिनकी इंटर्नशिप उन परिस्थितियों की वजह से पूरी नहीं हो पाई, जो उनके हाथ में नहीं हैं, जैसे कोविड-19 महामारी और युद्ध.

*इन विदेशी मेडिकल छात्रों की पीड़ा और तनाव को ध्यान में रखते हुए, भारत में इंटर्नशिप के बाकी हिस्से को पूरा करने के लिए उनके आवेदन को योग्य माना जाता है.

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*इसी तरह, राज्य चिकित्सा परिषद इसे प्रोसेस कर सकते हैं, बशर्ते छात्रों ने भारत में इंटर्नशिप पूरा करने के लिए, आवेदन करने से पहले एफएमजीई क्लीयर कर लिया हो.*

लेकिन यह सर्कुलर यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के लिए खुशखबरी लेकर नहीं आया है. ईएसआईसी अस्पताल के डॉ रोहन कृष्णन का कहना है, 'इस सर्कुलर का उन मेडिकल छात्रों पर कोई असर नहीं पड़ता, जिन्हं भारत सरकार यूक्रेन से बचाकर लाई है. कई छात्र ऐसे हैं जो तीसरे वर्ष में, दूसरे वर्ष में, या चौथे वर्ष में हैं, जिन्होंने अपनी डिग्री भी पूरी नहीं की है. स्टाइपेंड के लिए, किसी को भी पहले डिग्री पूरी करनी होती है, उसके बाद एग्ज़ाम पास करना होता है, फिर इंटर्नशिप मिलती है.'

आईएमए ने पीएम को लिखा पत्र, 2-5% सीटें बढ़ाने की मांग

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पीएम मोदी से यह सुनिश्चित करने के लिए कह रहा है कि देश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में 2-5% सीटें बढ़ाकर, इन पीड़ित छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेजों में ही जगह दे दी जाए. 

IMA का कहना है कि भारतीय शिक्षण संस्थानों से पास आउट होने के बाद ये छात्र भी भारतीय चिकित्सा स्नातकों के तरह ही अच्छे होंगे न कि विदेशी चिकित्सा स्नातकों की तरह. ऐसा करने से न केवल उन्हें उनके अनिश्चित भविष्य को बचाया जा सकेगा बल्कि मानवीय तौर पर भी ये एक अच्छा कदम होगा.

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कहना आसान है करना मुश्किल

भारत सरकार के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि ऐसा करने के लिए एनएमसी एक्ट और विनियमों में संशोधन करने की ज़रूरत होगी. आईएमए के महासचिव डॉ जयेश लेले ने कहा, 'इन छात्रों को यहां जगह देने के लिए सरकार चाहे तो अध्यादेश ला सकती है. सरकार और मेडिकल कॉलेज दोनों को ही फैसला लेना होगा. यह एक जटिल प्रक्रिया है.'

उन्होंने कहा, 'लगभग 18,000-20,000 छात्र अलग-अलग वर्षों में थे. एमबीबीएस के 4 साल के पाठ्यक्रम में, हमें नहीं पता कि वो छात्र किस वर्ष में थे, लेकिन सभी छात्र प्रथम वर्ष में नहीं हैं. भारतीय छात्र यूक्रेन में पढ़ने इसलिए गए थे क्योंकि भारत में सीटें कम हैं. हमारे पास डॉक्टरों की भी कमी है, जो कोविड महामारी के समय सामने आई. वे भी 2-3 साल के बाद भारत वापस ही आते.' हर साल सीटें एनएमसी द्वारा ही आवंटित की जाती हैं. 75,000 छात्र अलग-अलग एमबीबीएस कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं, जो भारत से 500 से अधिक हैं.

डॉ बत्राज ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक डॉ मुकेश बत्रा ने कहा, 'भारत ने दुनिया को कुछ सबसे बुद्धिमान लोग दिए हैं, जो गर्व की बात है. हालांकि, भारत में फिलहाल केवल 18,000 डॉक्टर हैं. देश में मेडिकल की पढ़ाई महंगी होने की वजह से हम अपने देश के टेलेंट को बाकी देशों के लिए खो देते हैं. मैं भारत सरकार से देश में स्वास्थ्य देखभाल के लिए शिक्षण संस्थानों के निर्माण में निवेश करने का अनुरोध करता हूं, जिससे मडिकल शिक्षा और भी सुलभ बनेगी और मौजूदा हेल्थ केयर सिस्टम का बोझ भी कम होगा. साथ ही यह भी देखना होगा कि इनमें से कुछ छात्र तो मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने ही वाले थे. इन छात्रों की बड़ी मदद होगी जो सरकार इन्हें वहीं से उठाए, जहां से ये छूट गए और शुरू से शुरू करने के बजाए भारत में अपनी पढ़ाई जारी रखें.'

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उन्होंने यह भी कहा कि इन छात्रों ने भारत में महंगी पढ़ाई की वजह से ही यूक्रेन जाकर पढ़ाई करना चुना था. सरकार उन्हें ज़ीरो इंट्रेस्ट पर लोन के तौर पर वित्तीय सहायता दे सकती है. साथ ही, और स्कॉलरशिप दे सकती है. जिससे ये डॉक्टर न केवल देश के भीतर सबसे अच्छी शिक्षा प्राप्त करेंगे, बल्कि हमारे अपने हेल्थ केयर सिस्टम में भी योगदान देंगे. हमें सरकार पर भरोसा है कि वे इन छात्रों के हितों का ध्यान रखेगी और यहां का कार्यबल बनाने में मदद करेगी. 'बीमारी मुक्त भारत' की दिशा में ये काफी कारगर साबित होगा.

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