AI बना वरदान! मेदांता के डॉक्टरों ने 62 साल के शख्स की बचाई जान

मेदांता देश का पहला अस्पताल है, जहां इस तकनीक की वजह से एक व्यक्ति को कार्डियक अटैक से बचाया गया. इस तकनीक के माध्यम से मेदांता जुलाई 2023 से इस तरह के 25 मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज कर चुका है. इस एआई तकनीक की मदद से मरीज में ना तो खून का रिसाव अधिक होता है और साथ ही जोखिम भी कम रहता है.

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एआई की मदद से बची शख्स की जान एआई की मदद से बची शख्स की जान

मिलन शर्मा

  • गुरुग्राम,
  • 13 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 9:05 PM IST

देशभर में हार्ट अटैक के बढ़ रहे मामले चिंता का सबब बने हुए हैं. ऐसे में AI तकनीक मददगार साबित हुई है.  AI डिवाइस पेनम्ब्रा फ्लैश (Penumbra Flash) की मदद से गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में 62 साल के एक शख्स को हार्ट अटैक से बचाया गया.

इस तकनीक के जरिए नरेंद्र सिंह नाम के एक मरीज के फेफड़े में जमा खून के थक्कों को हटाया गया. मेदांता देश का पहला अस्पताल है, जहां इस तकनीक की वजह से एक व्यक्ति को कार्डियक अटैक से बचाया गया. इस तकनीक के माध्यम से मेदांता जुलाई 2023 से इस तरह के 25 मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज कर चुका है. इस एआई तकनीक की मदद से मरीज में ना तो खून का रिसाव अधिक होता है और साथ ही जोखिम भी कम रहता है.

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इस तकनीक की मदद से 62 साल के नरेंद्र सिंह का सबसे पहले इलाज किया गया. नरेंद्र सिंह के बाएं पैर में खून के क्लॉट (थक्के) थे, जो उनके फेफड़े तक पहुंच गए थे. 

नरेंद्र बताते हैं कि मैं पेशे से पायलट हूं. मैंने सेना में भी सेवाएं दी हैं. मैं हर साल अपना नियमित चेकअप कराता हूं. लेकिन मुझे बहुत हैरानी हुई, जब ये पता चला कि मेरा हार्ट रेट बहुत बढ़ा हुआ मिला. शुरुआत में एक अस्पताल में चेकअप के लिए गया तो उन्होंने एंजियोप्लास्टी करने की सलाह दी. लेकिन जब मैं मेदांता आया तो मुझे इस तकनीक के बारे में पता चला. मुझे इस नई तकनीक के साथ सर्जरी के लिए कहा गया, जो चमत्कारी साबित हुआ. 

मेदांता के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहान ने बताया कि सर्जरी में छाती और धमनियों को खोलने के बजाए खून के थक्कों को Suck Out कर बाहर निकाल सकते हैं. एआई की मदद से खून में जमे क्लॉट को पकड़कर बाहर निकाला जा सकता है. हमने पूर्व में भी इसी तरह के बड़े ऑपरेशन किए हैं और उनमें जोखिम भी रहा है. 

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एआई की मदद से इस ऑपरेशन को करने वाले डॉ. तरुण ग्रोवर बताते हैं कि जब मरीज इमरजेंसी रूम में आए, वे सही तरह से सांस नहीं ले पा रहे थे. उनके पैर में दर्द हो रहा था और उसमें सूजन थी. हमने इस तकनीक की मदद से ब्लड क्लॉट को हटाया. इससे मरीज को तुरंत आराम मिला और उनकी सूजन भी कम हुई. मरीज को 48 घंटे के भीतर डिस्चार्ज भी कर दिया गया. 

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