लोकसभा चुनाव में AAP के लिए कैसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है सीएम केजरीवाल की रिहाई

चुनाव अभियान में केजरीवाल की सक्रिय भागीदारी से न केवल आप और कांग्रेस की संभावनाएं बढ़ेंगी, बल्कि दिल्ली की राजनीति में प्रतिस्पर्धा भी तेज होगी. दिल्ली के भीतर और बाहर एक लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता होने के नाते, केजरीवाल की तिहाड़ जेल से रिहाई अनिवार्य रूप से कई कारकों को जन्म देगी जो विभिन्न राज्यों में लोकसभा चुनावों के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं.

Advertisement
अरविंद केजरीवाल की मुश्विलें और बढ़ेंगी अरविंद केजरीवाल की मुश्विलें और बढ़ेंगी

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2024,
  • अपडेटेड 7:30 PM IST

दिल्ली में मतदान की तारीख में महज 15 दिन ही बाकी रह गए हैं और ऐसे समय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत मौजूदा राजनीतिक माहौल के बीच एक खास घटना के रूप में सामने आई है. केजरीवाल की जेल से रिहाई का पंजाब, हरियाणा और खासकर दिल्ली के चुनावों पर काफी असर पड़ने की संभावना है.

Advertisement

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) का कांग्रेस के साथ गठबंधन है. राष्ट्रीय राजधानी की सात सीटों में से, AAP चार निर्वाचन क्षेत्रों - दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस तीन, उत्तर-पश्चिम दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक से चुनाव लड़ रही है. उम्मीद है कि अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी से प्रचार रणनीति में काफी मजबूती आएगी, जिससे उन सभी सात सीटों पर गठबंधन की सफलता की संभावना बढ़ जाएगी, जिन पर वे चुनाव लड़ रहे हैं.

चुनाव अभियान में केजरीवाल की सक्रिय भागीदारी से न केवल आप और कांग्रेस की संभावनाएं बढ़ेंगी, बल्कि दिल्ली की राजनीति में प्रतिस्पर्धा भी तेज होगी. दिल्ली के भीतर और बाहर एक लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता होने के नाते, केजरीवाल की तिहाड़ जेल से रिहाई अनिवार्य रूप से कई कारकों को जन्म देगी जो विभिन्न राज्यों में लोकसभा चुनावों के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं जहां AAP की हिस्सेदारी है. 

Advertisement

जेल से बाहर आते ही केजरीवाल राजनीतिक चर्चा का केंद्र बिंदु होंगे. प्रतिद्वंद्वी दलों के हमलों के बावजूद, स्पष्ट है कि केजरीवाल पूरे अभियान के दौरान बातचीत पर हावी रहेंगे, जिससे मतदाताओं की राय पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. नतीजतन, दिल्ली की सात सीटों के लिए आगामी लोकसभा चुनाव काफी हद तक केजरीवाल के नेतृत्व पर जनमत संग्रह का काम करेगा. सवाल है कि क्या मतदाता केजरीवाल को एक प्रतिबद्ध नेता के रूप में देखेंगे, जिन्होंने दिल्ली की भलाई के लिए अथक प्रयास किया है, या एक भ्रष्टाचार-विरोधी योद्धा के रूप में, जो अंततः खुद ही भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गया और जिसके कारण उसे जेल भी जाना पड़ा.

भाजपा, पहले से ही केजरीवाल के भ्रष्टाचार की आलोचना कर रही है, यह भी कह रही है कि उनकी जमानत केवल अस्थायी है और चुनाव अभियान खत्म होने के बाद उन्हें अंततः आत्मसमर्पण करना होगा. इस नजरिए का उद्देश्य AAP-कांग्रेस गठबंधन द्वारा जगाई जाने वाली जीत या प्रतिशोध की किसी भी भावना को कम करना है. बहरहाल, विरोधी दलों की राजनीतिक चालबाजी और बयानबाजी के बावजूद, पूरे अभियान के दौरान केजरीवाल ही सुर्खियों के केंद्र में बने रहेंगे.

अरविंद केजरीवाल देश के सबसे प्रखर वक्ताओं में से एक हैं. जनता से तुरंत जुड़ने की उनकी आदत, सार्वजनिक संबोधनों के दौरान स्थानीय भाषा को अपनाना की बात उन्हें विशिष्ट बनाती है. जमानत पर उनकी रिहाई से उनकी पार्टी और इंडिया गठबंधन की मौजूदगी में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, खासकर सात चरण के लोकसभा चुनावों के आखिरी तीन चरणों में इसका असर दिखाई दे सकता है.

Advertisement

उम्मीद है कि केजरीवाल कई अहम मुद्दे उठाएंगे. उनके एजेंडे में सबसे ऊपर सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के कारण राजनीतिक नेताओं द्वारा सामना किए जाने वाले उत्पीड़न का मुद्दा है. संभावना है कि वह भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राजनीतिक विरोधियों को कुचलने के लिए इन एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगा सकते हैं.

इसके अलावा, केजरीवाल संभावित रूप से दिल्ली और पंजाब के निवासियों को उल्लेखनीय सेवाएं प्रदान करने के अपने प्रयासों के जवाब में केंद्र सरकार द्वारा लक्षित उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए प्रभावी ढंग से 'विक्टिम कार्ड' खेल सकते हैं. खुद को विक्टिम के रूप में पेश करके, वह जनता की सहानुभूति की लहर को आकर्षित कर सकते हैं जिससे उन्हें और उनकी पार्टी को काफी फायदा हो सकता है.

लगभग 50 दिन जेल में बिताने से केजरीवाल के राजनीतिक कथानक में एक नया आयाम जुड़ गया है. अपनी रिहाई के बाद, उम्मीद है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र में उतरेंगे और जनता के साथ अपने अनुभवों और दृष्टिकोणों का संचार करेंगे.

एक बड़ी चुनावी लड़ाई के लिए मंच तैयार है, क्योंकि आम आदमी पार्टी (आप) उन क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव के अंतिम दो चरणों के मतदान की तैयारी कर रही है जहां उसकी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है. दिल्ली और हरियाणा में 25 मई को छठे चरण में चुनाव होने हैं, इसके बाद 1 जून को पंजाब में चुनाव होने हैं, इसी दिन केजरीवाल की अंतरिम जमानत भी खत्म हो रही है.

Advertisement

भाग्य के उलटफेर में, केजरीवाल की रिहाई का समय उपयुक्त लग रहा है. हालाँकि AAP की मशीनरी फिलहाल चुस्त-दुरुस्त और आगे की चुनावी लड़ाई के लिए तैयार दिख रही है, लेकिन उनके प्रमुख की वापसी बहुत जरूरी प्रोत्साहन साबित हो सकती है. उन्हें सबसे प्रभावशाली स्टार प्रचारकों में से एक माना जाता है. इसके अलावा, केजरीवाल का योगदान प्रचार अभियान से कहीं आगे तक फैला हुआ है. उनकी पहचान एक चतुर राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में भी की जाती है. अकेले ही पार्टी के मामलों का संचालन करते हुए, उन्होंने एक दशक की छोटी अवधि के भीतर AAP को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

केजरीवाल की रिहाई, रणनीतिक योजना और प्रचार क्षमताओं से पार्टी के चुनावी प्रयासों को मजबूती मिलने की उम्मीद है. जैसे ही उलटी गिनती शुरू होती है, यह देखना बाकी है कि केजरीवाल के मार्गदर्शन में AAP इस अवधि का कितना प्रभावी ढंग से उपयोग करती है, और महत्वपूर्ण राज्यों में राजनीतिक चर्चा को कितना प्रभावित करती है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement