लंदन, मॉस्को, बर्लिन मेट्रो के क्लब में शामिल होगी कोलकाता मेट्रो, जानें क्या है रेलवे का प्लान

रेल मंत्रालय ने बुधवार, 30 अगस्त को एक बयान में कहा, "कोलकाता मेट्रो रेलवे ने अब निर्माण के लिए किए जा रहे सभी आगामी गलियारों में मिश्रित एल्यूमीनियम थर्ड रेल का उपयोग करने का निर्णय लिया है. साथ ही मौजूदा गलियारे में स्टील थर्ड रेल के साथ रेट्रो फिटमेंट का भी उपयोग किया जाएगा.

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Kolkata Metro (File Photo) Kolkata Metro (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

40 साल से कोलकाता की लाइफलाइन बनी मेट्रो अब लंदन, मॉस्को, बर्लिन, म्यूनिख और इस्तांबुल की विशिष्ट मेट्रो प्रणालियों में शामिल होने के लिए तैयार है. इनमें स्टील से बने रेल के बजाय मिश्रित एल्युमीनियम थर्ड रेल होती है यानी भारतीय रेलवे की कोलकाता मेट्रो स्टील थर्ड रेल को मिश्रित एल्युमीनियम थर्ड रेल से बदलने की योजना बना रही है. इस बदलाव के बाद कोलकाता मेट्रो अंतरराष्‍ट्रीय क्‍लब में शामिल हो जाएगी.

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थर्ड रेल लाइव रेल है, जो रेल के किनारे रखे कंडक्टर के माध्यम से ट्रेन को विद्युत शक्ति प्रदान करती है. कोलकाता मेट्रो में रेक को स्टील थर्ड रेल के माध्यम से 750 वोल्‍ट डीसी पर रोलिंग स्टॉक को बिजली की आपूर्ति की जाती है. स्टील से बना और मेट्रो रेक पर लगाया गया थर्ड रेल करंट कलेक्टर (टीआरसीसी) तीसरी रेल से बिजली एकत्र करता है, यह प्रक्रिया पिछले 40 वर्षों से चल रही है. 

रेल मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, "कोलकाता मेट्रो रेलवे ने अब निर्माण के लिए किए जा रहे सभी आगामी गलियारों में मिश्रित एल्यूमीनियम थर्ड रेल का उपयोग करने का निर्णय लिया है. साथ ही मौजूदा गलियारे में स्टील थर्ड रेल के साथ रेट्रो फिटमेंट का भी उपयोग किया जाएगा. इसके साथ ही कोलकाता मेट्रो लंदन, मॉस्को, बर्लिन, म्यूनिख और इस्तांबुल मेट्रो के विशिष्ट क्लब का सदस्य बन जाएगा, जो स्टील थर्ड रेल से एल्यूमीनियम थर्ड रेल में बदल जाएगा."

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कोलकाता मेट्रो ने पहले चरण में दमदम और श्यामबाजार स्टेशनों के बीच के खंड को कवर करने के लिए मौजूदा थर्ड रेल के प्रतिस्थापन के लिए एक टेंडर जारी किया है. दूसरे चरण में श्यामबाजार से सेंट्रल और जेडी पार्क से टॉलीगंज तक काम किया जाएगा. तीसरे चरण में, महानायक उत्तम कुमार (टॉलीगंज) और कवि सुभाष (न्यू गरिया) स्टेशनों के बीच का खंड लिया जाएगा. इस तरह कुल 35 आरकेएम (रूट किलोमीटर) मुख्य लाइन स्टील थर्ड रेल को चरणों में बदला जाएगा.

एल्यूमीनियम मिश्रित थर्ड रेल से होने वाले फायदे

  • प्रतिरोधक विद्युत प्रवाह की हानि में कमी आएगी और बेहतर कर्षण वोल्टेज स्तर होगा क्योंकि स्टील थर्ड रेल का प्रतिरोध समग्र एल्यूमीनियम थर्ड रेल की तुलना में लगभग छह गुना अधिक है.
  • स्टील थर्ड रेल की तुलना में कम ट्रैक्शन सबस्टेशन यानी 35 किमी मेट्रो कॉरिडोर के लिए लगभग 210 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की सीधी बचत.
  • कम वोल्टेज ड्रॉप कोलकाता मेट्रो रेलवे के पास उपलब्ध एक ही रेक के साथ तेजी से गतिवृद्धि प्राप्त करने की सुविधा होगी.
  • कम रख-रखाव और लागत- हर 5 साल में थर्ड रेल की पेंटिंग की आवश्यकता अब और नहीं होगी. थर्ड रेल आयाम के मापन की आवृत्ति में काफी कमी आ सकती है. जंग के कारण नुकसान की संभावना नहीं होगी.
  • ट्रेन संचालन की दक्षता में सुधार.
  • ऊर्जा दक्षता में भारी सुधार और कार्बन फुटप्रिंट में कमी.
  • कम्पोजिट एल्यूमिनियम थर्ड रेल का उपयोग करके प्रति वर्ष अनुमानित ऊर्जा बचत लगभग 6.7 मिलियन यूनिट हो सकती है.
  • रेलगाड़ियों का अगला हिस्सा बेहतर होगा.

 

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