किसान मोर्चा ने सरकार से बातचीत के लिए बनाया मध्यस्थ, केसी त्यागी बोले- पहले नीतीश से पूछेंगे

दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का धरना पिछले 2 महीने से ज्यादा समय से जारी है. इस बीच, किसान संयुक्त मोर्चा के नेता धर्मेंद्र मलिक चाहते हैं कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता करें.

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जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी (फाइल फोटो) जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी (फाइल फोटो)

सुजीत झा

  • पटना/नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:44 PM IST
  • दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी
  • केसी त्यागी से मध्यस्था का अनुरोध
  • नीतीश और पवार करें मध्यस्थता-त्यागी

दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का धरना पिछले 2 महीने से ज्यादा समय से जारी है. इस बीच, किसान संयुक्त मोर्चा के नेता धर्मेंद्र मलिक ने कहा है कि वह चाहते हैं कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी केंद्र सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता करें. 

वहीं जब केसी त्यागी से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसकी पुष्टि की और कहा कि खबर सही है. लेकिन उन्होंने कहा कि वह इसके बारे में सबसे पहले पार्टी प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विचार विमर्श करेंगे. केसी त्यागी ने यह भी कहा कि उनके हिसाब से नीतीश कुमार या शरद पवार को सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता करनी चाहिए. 

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दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन शुरू होने के बाद यह पहली दफा है जब किसान संगठनों की तरफ से किसी को मध्यस्थ बनाए जाने की बात कही गई है. इससे पहले किसान संगठन ऐसे किसी भी प्रस्ताव का विरोध करते रहे हैं. पिछले साल एक दिसंबर को केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों पर चर्चा करने के लिए एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था. मगर 35 किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव ठुकरा दिया था. किसान संगठनों और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बीच यह वार्ता बेनतीजा रही. किसान अपनी इस मांग पर अड़े रहे कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए.  

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इसी तरह, सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी 2021 को इस मामले की सुनवाई करते हुए तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा दी. साथ ही शीर्ष कोर्ट ने एक कमेटी का गठन कर दिया. अदालत ने कमेटी से दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा. कमेटी से सभी पक्षों को सुनने के बाद अपनी सिफारिश देने को कहा गया था. हालांकि किसान संगठनों ने कमेटी के सदस्यों की कृषि कानूनों को लेकर उनकी राय को लेकर सवाल खड़े किए. कई किसान नेताओं ने कमेटी से मिलने से भी इनकार कर दिया.  

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बहरहाल, किसान संगठनों और सरकार के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. किसान तीनों कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग कर रहे हैं. वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि वो कानूनों नें संशोधन को तैयार है. लेकिन कानून वापस नहीं लिए जाएंगे.    


  

 

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