डेनमार्क के नागरिक और पुरुलिया हथियार गिराने के मामले के मुख्य आरोपी किम डेवी (नील्स होल्क) के भारत प्रत्यपर्ण की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है. हाल ही में भारत दौरे पर आये डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोके रासमुसेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि डेवी के प्रत्यर्पण को लेकर सभी तैयारियां चल रही हैं. उन्होंने कहा कि साल 2019 में जब वो प्रधानमंत्री के तौर पर भारत आए थे तब राजनीतिक तौर से इस मामले पर गंभीर चर्चा की हुई थी. रासमुसेन ने कहा कि यह राजनीतिक मामला नहीं है. इससे उचित अथॉरिटी को निपटना चाहिए और मुझे जानकारी दी गई है कि कार्य प्रगति पर है.
हालांकि इससे पहले डेनमार्क की सरकार पुरुलिया मामले में मुख्य आरोपी डेवी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत सरकार की याचिका को खारिज करती आई है. डेनमार्क की सरकार ने प्रत्यर्पण की याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया था कि भारत में उसे प्रताड़ना और अन्य अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है.
डेनमार्क उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखा था, जिसमें डेनमार्क की सरकार ने भारत से बार-बार आश्वासन मिलने के बाद डेवी के प्रत्यर्पण के संबंध में सीबीआई के आग्रह को मंजूर किये जाने का उल्लेख किया था. भारत से प्राप्त आश्वासनों में कहा गया था कि डेवी को मौत की सजा नहीं सुनाई जायेगी और अगर उसे कारावास की सजा हुई तो उसे डेनमार्क की जेल में रखा जायेगा.
भारत की ओर से यही कहा गया कि वह पुरुलिया हथियार गिराने के मामले के मुख्य आरोपी के प्रत्यर्पण के लिए प्रयास करता रहेगा. बता दें कि कथित तौर पर 1995 में पुरुलिया में सनसनीखेज तरीके से हथियार गिराने के मामले में शामिल होने का केस भारत में चल रहा है.
डेवी पर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में 17 दिसंबर 1995 की रात को एएन-26 विमान से हथियार और गोली-बारूद का जखीरा गिराने का आरोप है. डेवी उर्फ नील्स होल्क के प्रत्यर्पण के मामले पर जुलाई 2012 में दोनों देशों के रिश्तों में खिंचाव आ गया था और भारत ने इस मामले में डेनमार्क के इनकार के बाद उसके साथ अपने राजनयिक संपर्क कम कर दिए थे.
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