घाटी के नेताओं से अजमेर शरीफ के दीवान की अपील- 370 भूल जाइए, सरकार के साथ काम कीजिए

उन्होंने जोर देकर कहा है कि अब तमाम कश्मीरी नेताओं को सिर्फ और सिर्फ घाटी के विकास के बारे में सोचना चाहिए. किसी को भी अपने निजी एजेंडे को बीच में नहीं लाना है.

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अजमेर शरीफ के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अजमेर शरीफ के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन

देव अंकुर

  • अजमेर,
  • 23 जून 2021,
  • अपडेटेड 12:19 AM IST
  • निजी एजेंडा छोड़िए, दीवान की अपील
  • 370 की कहानी पुरानी, विकास पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू कश्मीर को लेकर गुरुवार को अहम बैठक होने जा रही है. बैठक में कश्मीर के कई बड़े नेता शामिल भी होंगे. लेकिन बैठक से पहले ही कुछ नेताओं ने ऐसे बयान दे दिए जिस वजह से विवाद भी खड़ा हुआ है और नीयत पर भी सवाल उठने लगे हैं. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पहले ही पाकिस्तान संग बातचीत की पैरवी कर चुकी हैं. अब इन बयानों के बीच अजमेर शरीफ के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन की तरफ से तमाम नेताओं से एक खास अपील की गई है.

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निजी एजेंडा छोड़िए, दीवान की अपील

उन्होंने जोर देकर कहा है कि अब तमाम कश्मीरी नेताओं को सिर्फ और सिर्फ घाटी के विकास के बारे में सोचना चाहिए. किसी को भी अपने निजी एजेंडे को बीच में नहीं लाना है. वे कहते हैं- मैं सभी नेताओं से कहना चाहता हूं कि आप इस अवसर का बखूबी इस्तेमाल करें. जम्मू कश्मीर को सबसे विकसित बनाएं. अनुछेद 370 भूल जाइए और भारत सरकार के साथ काम कीजिए. हर विकास वाली योजना को घाटी में लागू करवाइए.

370 की कहानी पुरानी, विकास पर जोर

उनकी तरफ से जोर देकर यहां तक कहा गया कि सभी नेता अपने निजी एजेंडे पीछे छोड़ जाएं. उनके मुताबिक अगर मीटिंग को सफल होना है और जम्मू कश्मीर के हित के बारे में सोचना है तो इन तमाम नेताओं को अपने निजी एजेंडे छोड़ने होंगे. सभी को सरकार संग बातचीत वाला माहौल तैयार करना होगा. अब ये बयान काफी मायने रखता है और कहीं ना कहीं महबूबा और फारूक को भी बड़ा संदेश है. दोनों ही नेताओं ने 370 और पाकिस्तान पर बयान दिया है. उस बीच सैयद जैनुल आबेदीन का ये कहना कि निजी एजेंडा को पीछे छोड़ा जाए काफी मायने रखता है.

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कट्टरपंथी संगठन कर रहे माहौल खराब

वैसे इस अहम बैठक से पहले सैयद जैनुल आबेदीन ने सूफिज्म पर भी ज्ञान दिया है. उन्होंने कहा है कि हर कश्मीरी के दिल में सूफिज्म भरा हुआ है. वे उम्मीद कर रहे हैं कि जम्मू कश्मीर के नेता भी उस अहसास को जीवित रखेंगे और मीटिंग के समय भी वैसा ही व्यवहार करेंगे. अब एक तरफ सूफिज्म  पर जोर दिया गया है तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने इस बात पर दुख जाहिर किया है कि कुछ कट्टरपंथी संगठन घाटी का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफ था. अब सभी की नजर उस मीटिंग पर है जिसमें जम्मू कश्मीर को लेकर कई बड़े फैसले हो सकते हैं.

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